जंगल सफारी में जंगल-राज? कर्मचारियों का बड़ा खुलासा- नियमविरूद्ध नियुक्तियां जारी

रायपुर। जंगल सफारी में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नहीं मिला है, उपर से नियम-प्रावधानों को ताक पर रखकर यहां नियुक्तियां भी की जा रही हैं। यह कहना है छत्तीसगढ़ संयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ का। महासंघ का कहना है दो दिनों के भीतर उनकी मांगों के अनुरूप यदि जंगल सफारी प्रबंधन द्वारा उचित निर्णय नहीं लिया गया, तो धरना, प्रदर्शन और घेराव जैसे कदम उठाए जाएंगे। इस संबंध में छत्तीसगढ़ संयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है। वह विज्ञप्ति शब्दश: पेश है-
'वर्तमान में पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है इसी परिपेक्ष्य में छ.ग. शासन ने अपने वार्षिक बजट में 30 प्रतिशत की कमी की है ताकि वर्तमान में कार्यरत् शासकीय अधिकारियों/ कर्मचारियों को समय पर वेतन दिया जा सके किन्तु इसके बावजूद जंगल सफारी में आये दिन नये-नये कर्मचारियों को काम पर रखा जा रहा है, जबकि कोरोना महामारी के चलते जंगल सफारी मार्च से ही बंद है।'
'इसके कारण पर्यटकों से होने वाली आय बंद हो गई है। जंगल सफारी में कार्यरत् दैनिक श्रमिकों को 03 माह से वेतन नहीं मिल पाया है। इस पर भी जंगल सफारी प्रबंधन ने बिना वित्त विभाग की स्वीकृति के लगातार दैनिक वेतन भोगियों को काम पर रखना जारी रखा है।'
'उल्लेखनीय है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने 2008 के अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि भविष्य में बिना वित्त विभाग के आदेश कि किसी भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को काम पर न रखा जावे।'
'छत्तीसगढ़ संयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष बजरंग मिश्रा प्रदेश सचिव राजकुमार कुशवाहा, कोषाध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह राजपूत, सह सचिव कमलेश कुमार सिन्हा तथा छ.ग.दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष अरविंद वर्मा, तुलसीकृत डोंगरे, नवीन झा ने बताया कि जंगल सफारी में पिछले एक साल में कई दैनिक वेतन भोगी को रखा गया है।'
'इसके संबंध में कई बार संबंधित अधिकारियों को कहा गया कि वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों को ही 03 माह से वेतन नहीं मिल पा रहा ऊपर से और कर्मचारी रखे जाने से बजट की समस्या उत्पन्न होगी, किन्तु यह सिलसिला जारी है। वर्तमान में माह अगस्त में भी जंगल सफारी के कार्यालय में पुनः एक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को रखा गया। इस पर संघ के पदाधिकारियों ने संचालक जंगल सफारी व मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) रायपुर से चर्चा कर विरोध दर्ज कराया किन्तु अधिकारी द्वय द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर न मिलने पर दिनांक 01.09.2020 को पत्रा भी लिखा, किन्तु इस पर आज पर्यन्त कोई कार्यवाही नहीं की गई।'
'महासंघ ने मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को कार्यवाही हेतु दो दिन का समय और दिया है। यदि इस अवधि में नये रखे गये दैनिक वेतन कर्मचारियों को नहीं हटाया गया तो महासंघ मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) कार्यालय में धरना-प्रदर्शन व घेराव के लिये मजबूर होगा।'
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