ग्राहकों से होने वाली लूट पर पिकअप से लगाम, शौकीनों के लिए सिक्योरिटी कूपन बना ओटीपी

आबकारी विभाग की ओर से शराब के लिए जारी किए गए पोर्टल के लिंक ने भले ही शौकीनों को शुरुआती दिनों में मायूस किया लेकिन सिस्टम फ्री हो जाने के बाद शौकीनों से होने वाली बेजा वसूली काफी हद तक रोक दी है। ओटीपी के स्क्रीन शॉट को शौकीन बतौर सिक्योरिटी कूपन इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में कर्मचारी अब ओवररेट के नाम पर धोखा देने कदम पीछे करने में लग गए हैं।
दरअसल ऑनलाइन सिस्टम में अगर किसी ने शराब की बुकिंग कराई है तो आबकारी का सिस्टम सीधे वॉलेट से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन ले रहा है। मध्यस्थ कड़ी में कर्मचारी सिर्फ बोतलें डिस्पैच कर पा रहे। दुकानों में कर्मचारियों ने कई बार ऐसा सिस्टम बना लिया था जिसमें प्लस का खेल खेला जा रहा था।
ग्राहकों के सीधे रकम का भुगतान करने पर ब्रांडेड शराब की तंगी बताकर दस से बीस रुपए वसूल करते थे लेकिन ऑनलाइन सिस्टम में सबकुछ ऑन रिकार्ड ओपन होने पर ऐसा कर पाना मुश्किल है। बता दें कि रायपुर जिले की दुकानों में दो साल पहले प्लेसमेंट वालों ने ढाई करोड़ रुपए तक का गबन कर चूना लगाया था। आबकारी को प्लेसमेंट कंपनी से रकम वसूल करना पड़ा था। ऑनलाइन सिस्टम में लोड कम होने पर शौकीन डिजिटल सुविधा पर भी बेहतर रिस्पांस दे रहे हैं।
हर दुकान के लिए हो सकता है प्लान
ग्राहकों की संख्या जिस तरह से ऑनलाइन पोर्टल में शराब बुक कराने की रही है आबकारी अब चुनिंदा दुकानों के अलावा दूसरे दुकानों में भी यह सिस्टम लागू कर सकता है। ऑनलाइन शराब बुकिंग में मोबाइल ट्रैफिक स्मूथ रहने की स्थिति में फायदा शराब पीने वालों को ही है। वाॅलेट से सीधे आबकारी को भुगतान और फिर बिना किसी एक्स्ट्रा चार्ज दिए सिस्टम बन सकता है।
हेराफेरी मुश्किल, मिलावट का खेल
दुकानों से स्टॉक की हेराफेरी रुकने के बाद अब कई जगहों से मिलावट करने की खबरें बाहर आ रही हैं। बताया जा रहा है कि कुछ दुकानें ऐसी हैं जहां पर बाहरी लोग प्रभाव जमाकर ऐसा कर रहे हैं। डिलीवरी बॉय की मिलीभगत से मिलावट आसान है। कुछ ब्रांड की बोतलों में सील के साथ ढक्कन खोलना और उसे बंद करने की कलाबाजी से ऐसा किया जा रहा है।
सर्वर बता देगा गफलत, सिस्टम तैयार
आबकारी विभाग ने ऑनलाइन पोर्टल में लिंक बढ़ाने के बाद अब सर्विलांस के लिए भी डिवाइस बना लिया है। अगर किसी दुकान से कर्मचारी ने अपने फोन नंबरों पर शराब बुक कराई और उसे बाहर बेचने कोशिश की तो वाॅलेट हिसाब बता देगा। बैंक बैलेंस और ट्रांजेक्शन से शक यकीन में बदलेगा जिसके बाद सीधे सख्ती होगी।
ऐसा है पिकअप ट्रैक
जब ऑनलाइन बुकिंग हुई लेकिन डिलीवरी का लोड बढ़ा तो आबकारी ने दुकानों में पिक-अप काउंटर शुरू किया। पिक-अप ट्रैक बनाया गया। कोई भी शौकीन पैसा कटने के बाद शराब जाकर ले सकता है। पैसा कट जाने के बाद ओटीपी जनरेट होता है। इसे दिखाने पर बोतल लेने से कोई कर्मचारी मना नहीं कर सकता। अगर किसी ने शिकायत की तो कार्रवाई होगी।
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