खुलासा : आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सुपरवाइजर प्रमोशन दिलाने का झांसा, ये है इस गिरोह की हकीकत

खुलासा : आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सुपरवाइजर प्रमोशन दिलाने का झांसा, ये है इस गिरोह की हकीकत
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छत्तीसगढ़ के कई जिलों में इन दिनों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से ठगी के कई मामले सामने आ रहे हैं। कुछ ठग उन्हें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से सुपरवाइजर के रूप में प्रमोशन दिलाने का झांसा दे रहे हैं, तो कुछ ठग उन्हें ज्यादा पगार वाली दूसरी सरकारी नौकरी लगवा देने का लालच देकर रुपए अपनी जेब में भर ले रहे ले रहे हैं। राजनांदगांव, दुर्ग, कबीरधाम, बेमेतरा, महासमुंद और बिलासपुर आदि के बाद ऐसा ही एक मामला बालोद जिले में सामने आया है। पढ़िए पूरी खबर-

रायपुर। बालोद जिले के कोतवाली थाने में ग्राम बघमारा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता यशोदा साहू ने एक शिकायत पेश की है। शिकायत के मुताबिक पिछले 21 मई को उसके सुपरवाइजर ने अशोक पांडे नाम के एक व्यक्ति से संपर्क कराया था। अशोक पांडे और उसके एक अन्य साथी ने यशोदा साहू को सुपरवाइजर के रूप में प्रमोशन दिलाने का झांसा दिया। इस झांसे में आकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता यशोदा साहू ने सुपरवाइजर बनने के एवज में 3.50 लाख रुपए देने की रजामंदी दे दी। इसके बाद यशोदा साहू ने झांसे में आकर तीन किस्तों में 3.50 लाख रुपए उसको दिए गए बैंक अकाउंट में डाल दिए। वह बैंक अकाउंट नारायणपुर निवासी मोहन नेगी का बताया जा रहा है। 3.50 लाख रुपए अकाउंट में डाल देने के बाद भी जब यशोदा साहू को सुपरवाइजर के रूप में पदोन्नति का आदेश नहीं मिला, तब वह बार-बार अपने सुपरवाइजर और अशोक पांडे को फोन करने लगी, लेकिन उसे गोलमोल जवाब मिलता रहा। इसके बाद अब, जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता यशोदा साहू को ठगे जाने का अहसास हुआ, तब उसने बालोद के कोतवाली थाना में शिकायत दी है। इस शिकायत के साथ उसने बैंक में डाले गए रुपयों के प्रमाण और लेन-देन की बातचीत वाली कॉल रिकॉर्डिंग और मैसेजेस भी पुलिस को उपलब्ध कराया है। पुलिस ने इस मामले में आरोपी अशोक पांडे और उसके सहयोगियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इस मामले में ठगी का अपराध दर्ज कर लिए जाने की खबर है। दूसरी तरफ महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि ठगी के आरोपी का विभाग से कोई लेना देना नहीं है। 'हरिभूमि डॉट कॉम' ने जब इस संबंध में संचालनालय के एक उच्च पदस्थ भरोसेमंद सूत्र से बातचीत की, तो पता चला कि इस नाम का व्यक्ति मंत्रालय के किसी अन्य सेक्शन में जरूर काम करता है, लेकिन उसका महिला एवं बाल विकास विभाग से कोई संबंध नहीं है। आरोपी के नाम से पहले भी कई बार शिकायतें हो चुकी हैं। जानकारी मिली है कि इस व्यक्ति ने राजनांदगांव, दुर्ग, बेमेतरा, कबीरधाम, बिलासपुर, महासमुंद आदि जिलों में कई लोगों के जरिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से ठगी की है। इन जिलों में कई ठग मंत्रालय और संचालनालय तक अपनी पहुंच बताते हुए सक्रिय हैं कई ऐसे भी मामले हैं जिनमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने नकदी लाखों रुपये दे दिए हैं, लेकिन अपनी बेइज्जती के डर में से वे ना तो ठगे जाने की जानकारी किसी को दे रही हैं, ना ही पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा रही हैं। इसलिए कई ठग अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं और आराम से बेखौफ होकर घूम रहे हैं। महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे ठगों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए विभाग खुद भी पहल कर रहा है। ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को खुलकर सामने आना चाहिए और जिन लोगों ने रुपए लेकर उन्हें अपना शिकार बनाया है उनके खिलाफ विधिवत तरीके से रिपोर्ट दर्ज कराना चाहिए। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के कई जिलों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अच्छी सैलरी वाली दूसरी सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर भी कई ठगों ने रुपए गटक लिए हैं। लेकिन ठगी का शिकार हो चुकी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं बालोद की यशोदा बाई साहू की तरह हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं। यही कारण है कि ठगों के हौसले अभी भी बहुत बुलंद है और वे नई शिकार की तलाश में जीभ लपलपाते घूम रहे हैं। ऐसे सफेदपोश ठग सरकारी दफ्तरों में भी कार्यरत हैं, तो वही कुछ लोग फाइनेंस, पत्रकारिता आदि दूसरे सेक्टर से जुड़े हुए लोग भी शामिल हैं, जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने भरोसे में लेकर उनसे रुपए ले रहे हैं या अन्य तरीकों से उनका शोषण कर रहे हैं। बहरहाल बालोद की यशोदा बाई साहू के सामने आने के बाद अब बारी-बारी से बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आने की संभावना है।

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