इंदौर और सिमगा में अमृतसर से मंगाई जा रही थीं नकली आयुर्वेदिक गोलियां

रायपुर। वाताहरी की एक वटी (गोली) में डाइक्लोफिनेक और एसिक्लोफिनेक एलोपैथी दवाओं का डबल डोज मिला है, जो विभिन्न तरह के दर्द दूर करने में असरदार माना जाता है। इसीलिए सालभर के भीतर नकली दवा का कारोबार पांच राज्यों तक फैल गया। रायपुर के आरोपी आयुर्वेद की नकली गोलियां इंदौर और सिमगा के कारोबारी अमृतसर से मंगाकर यहां पैकिंग करते थे।
आयुर्वेद की नकली गोलियां बनाने जिन एलोपैथी दवाओं का उपयोग किया जाता है, उनका सेवन एक साथ नहीं किया जाता। इन दवाओं का उपयोग बिना डाॅक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए। दोनों दवाओं का अधिक उपयोग किडनी को प्रभावित कर सकता है। इसके बाद भी इससे वाताहरी वटी तैयार की जा रही थी। इंदौर से मंगाई गई गोलियों को यहां पैक कर प्रदेश के साथ झारखंड, यूपी, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तक भेजा जाता था। रायपुर के कारोबारी वर्ष 2016 से इस गोरखधंधे में जुटे थे, मगर कोरोना के दौरान काम बंद हो गया था। पिछले एक साल से इनका धंधा करोड़ों में हो गया। सिमगा में चंदा वटी आयुर्वेदिक फार्मेसी के नाम से इसी तरह नकली दवाओं का कारोबार हो रहा था और एलोपैथी मिली आयुर्वेदिक नकली दवा अमृतसर से यहां मंगाई जाती थी। साथ ही वेबसाइट बनाकर ऑनलाइन तरीके से इसकी बिक्री छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्यों में भी की जा रही थी।
पांच के खिलाफ प्रकरण
रायपुर के साथ सिमगा में आयुर्वेद के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी में पांच लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाएगा। इनमें सड्डू निवासी सूर्यकांत बघेल, शंकर नगर निवासी कमलनारायण साहू, नागपुर महाराष्ट्र निवासी समीर दीवान, तुमगांव निवासी पवन कुमार साहू तथा सिमगा निवासी गिरधारी देवागंन के नाम शामिल हैं। छापेमारी में मिली दवा की जब्ती के लिए औषधि विभाग के अधिकारी अदालत से अनुमति लेने की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं।
दवा किसी की, पैकिंग किसी की
प्रदेश में इतनी भारी मात्रा में आयुर्वेद की नकली दवाएं पकड़ाने का यह पहला मामला है। कुछ समय पहले राजधानी की एक फुटवियर शॉप से इसी तरह आयुर्वेद की नकली दवा का मामला पकड़ा गया था। गुरुवार को पकड़े गए मामले में पता चला है कि बजरंग ट्रेडर्स का संचालक नकली दवा मंगाता था और यशिका ट्रेडर्स में उसे पैक किया जाता था। बीरगांव में यशिका ट्रेडर्स का गोदाम है, जहां से राज्यों में दवा भेजी जाती थी। सिमगा के शारदा मेडिकल स्टोर्स से चंदा वटी की सप्लाई प्रदेशभर में होती थी।
पुलिस की लेंगे मदद
सिमगा और रायपुर से आयुर्वेद की नकली दवा का मुख्य कारोबार ऑनलाइन तरीके से होता था। इनकी वेबसाइट और ऑनलाइन कारोबार पर रोक लगाने के लिए पुलिस की मदद ली जाएगी। आरोपियों से मिले दस्तावेज के आधार पर इंदौर और अमृतसर में औषधि विभाग को जानकारी प्रेषित की गई है।
बाजार में नकली दवा
आयुर्वेद की करोड़ों की नकली दवा की खपत दवा बाजार में भी हुई है। सिमगा में आरोपी अपनी मेडिकल से इसकी बिक्री भी करता था, वहीं राजधानी सहित प्रदेश के साथ अन्य राज्यों में भी इन दवाओं की बिक्री की जानकारी औषधि विभाग तक आ रही है। बाजार में फैली दवाओं को वापस मंगाने सर्कुलर जारी करने सहित अन्य प्रक्रिया भी पूरी किए जाने का प्रयास किया जा रहा है।
ऑनलाइन बाजार पर नजर
विस्तृत जांच के बाद मामला अदालत में पेश किया जाएगा। दवाओं की बिक्री ऑनलाइन तरीके से भी होती थी, इसकी जानकारी एकत्रित की जा रही है। इस कारोबार के तार दूसरे राज्यों से जुड़े होने की आशंका के आधार पर संबंधित प्रदेशों को भी इसकी सूचना दी जा रही है।
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