बंगाल के लिए रायपुर से भेजी गई 7 करोड़ 90 लाख रुपए की नकली मुद्रा ओड़िशा पुलिस ने की जब्त

ओडिशा के पोटांगी थाना क्षेत्र के सुनकी पुलिस चौकी पर 7 करोड़ 90 लाख रुपए के नकली नोट के साथ दबोचे के तीन सौदागरों का कनेक्शन रायपुर तक फैला है। एक निजी कंपनी का इंजीनियर इस गिरोह का मास्टर माइंड है और वह रायपुर में रहकर नकली नोट का कारोबार करता था। ओडिशा पुलिस की जांच में करोड़ों रुपए की फेक करेंसी लेकर रायपुर से कोलकाता के लिए रवाना होने की पुष्टि हुई है।
अब ओडिशा पुलिस एक-दो दिन में रायपुर धमकेगी और यहां नकली नोट के सौदागरों के ठिकानों को खंगालेगी। ओडिशा पुलिस की जांच में साफ हो गया है कि कलर प्रिंटर की मदद से आरोपी 100 रुपए व 500 रुपए के नकली नोट बनाते थे।
आरोपियों ने अपने रायपुर के निवास और नकली नोट तैयार करने के ठिकानों की डिटेल बताई है। हालांकि एसएसपी रायपुर अजय यादव बताया कि ओडिशा पुलिस द्वारा नकली नोट रायपुर में छापने की जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने कोरापुट जिले के एसपी को कॉल भी किया लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ।
यह है मामला
ओडिशा पुलिस के मुताबिक बस्तर-ओडिशा बार्डर पर मंगलवार को पुलिस जांच कर रही थी। इस दौरान छत्तीसगढ़ पासिंग नंबर की फॉर्ड कार को रोका गया। कार से चार ट्रॉली बैग मिले थे जिसमें 500 रुपए के कुल 1580 बंडल थे और हर बंडल में 500 के 100 नोट थे। इसके साथ उनके पास से पांच मोबाइल और 35 हजार रुपए बरामद किया गया है। तीनों ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से कलर कॉपी बनाने वालों से लेना स्वीकार किया है।
इंजीनियर रायपुर में रहता था
एसपी पारुल माथुर ने बताया कि नकली करेंसी के साथ पकड़ा गया आरोपी जांजगीर जिले के डभरा ब्लॉक में संचालित आरकेएम पावर प्लांट उच्चपिंडा में इंजीनियर है। दूसरा प्लांट में कर्मचारी है और तीसरा डभरा के सटे एक गांव का रहने वाला है। आरोपी इंजीनियर और उसका साथी दोनों रायपुर में किराए के मकान में रहते हैं। ओडिशा के कोरापुट पुलिस ने आरोपियों की डिटेल जांजगीर चांपा पुलिस को भेजी है। अब इसकी पुष्टि कराई जा रही है।
ऐसे बनाए जाते हैं नकली नोट
जानकारों के मुताबिक एक पेज पर तीन असली नोट चिपकाया जाता है। उस पेज का कलर प्रिंटआउट निकाल लिया जाता है। उसे बल्ब के लाइट में देखा जाता है और कागज के दूसरे हिस्से पर एक-एक जगह निशान लगा दिया जाता है कि कहां, क्या प्रिंट करना है। एक कागज पर तीन नोट छप जाते हैं।
उसे कटर के माध्यम से असली नोट के बराबर उसकी कटिंग कर ली जाती है। टोनर और कलर से प्रिंट नोट को चमकाते हैं फिर महात्मा गांधी की वाटरमार्क की इमेज बना दिया जाता है। वहीं फेक करेंसी बनाने का दूसरा तरीका यह है। नोट को स्कैन कर मार्जिन सेट कर आगे-पीछे की साइड की कॉपी कर ली जाती है। इसके बाद प्रिंट आउट निकाल कर कटिंग कर दी जाती है।
रायपुर से है कनेक्शन
7 करोड़ 90 लाख रुपए की नकली करंसी के साथ तीन आरोपियों को पकड़ा गया है। दो आरोपी का कनेक्शन छग के रायपुर से है। अब पुलिस टीम रायपुर भेजी जाएगी।
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