त्योहारी सीजन और ऊपर से चुनाव : राजिम क्षेत्र में शराब कोचियों की निकल पड़ी.. डेढ़ से दोगुने कीमत पर खुलेआम होती रही बिक्री...

त्योहारी सीजन और ऊपर से चुनाव : राजिम क्षेत्र में शराब कोचियों की निकल पड़ी.. डेढ़ से दोगुने कीमत पर खुलेआम होती रही बिक्री...
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110 रूपए के प्लेन को 300 रूपए तक लेने विवश हो गए। इसी तरह नंबर वन अंग्रेजी शराब के 710 रूपए बोतल को 15 सौ से 2 हजार रूपए तक में लिया गया है। मतलब मौके का नाजायज फायदा कोचिया लोग भरपूर उठाए हैं। पढ़िए पूरी खबर...

श्याम किशोर शर्मा-राजिम। छततीसगढ़ में दीपावली का त्योहार और विधानसभा चुनाव लगभग एक साथ संपन्न हो गया। इस दौरान शराब की खपत इतनी बढ़ गई कि सरकारी दुकानें पूर्ति नही कर पाईं। पियक्कड़ो की माने तो 14 नवंबर की भीड़ राजिम शराब दुकान के लिए ऐतिहासिक माना गया।

देखा गया कि, इस दिन दारू लेने वालों का सैलाब उमड़ पड़ा था। शराब दुकान के बंद होते तक लोग न केवल डटे रहे बल्कि भारी मशक्कत का सामना उन्हें करना पड़ा। 15 की शाम से 17 की शाम तक चुनाव के वजह से भट्ठी बंद रही। आज की तारीख में भी शराब दुकान में आपूर्ति नहीं होने की बात शराबप्रेमियों ने जाहिर किया है। बहरहाल इस दौर में बिना शराब के नहीं रह पाने वाले नशेड़ियों को कोचियों का सहारा लेना पड़ा है और अभी भी पड़ रहा है। 110 रूपए के प्लेन को 300 रूपए तक लेने विवश हो गए। इसी तरह नंबर वन अंग्रेजी शराब के 710 रूपए बोतल को 15 सौ से 2 हजार रूपए तक में लिया गया है। मतलब मौके का नाजायज फायदा कोचिया लोग भरपूर उठाए हैं।


गांव-गांव में कोचिए सक्रिय

वैसे भी राजिम शहर सहित क्षेत्र के ऐसा कोई भी गांव साबुत नहीं बचा है जहां शराब कोचिये न हो। बारहो माह ये कोचिये ओवर रेट में शराब बेचते हैं। इनके पास आसानी के साथ शराब मिल जाता हैं। लोग ये सोचकर भी ओवर रेट में लेते हैं क्योंकि उन्हें भट्ठी में लाइन लगाने से राहत मिल जाती है। दूसरी बात यह है कि भट्ठी आते-जाते भी कोई न देख ले यह भी डर बना रहता है। समय की कोई पाबंदी नहीं। सुबह तड़के से भी मिल जाता है और आधी रात तक भी। बहरहाल 14 नवंबर को भट्ठी में भीड़ का आंखों देखा हाल बताते हुए एक शराब प्रेमी ने जानकारी दी कि, रेलम-पेल भीड़ के बीच शराब के बॉटल, अद्धी और चेपटी लेने में बहे पसीना को शराबी बड़ी जीत हासिल होने की चर्चा करते रहे। शराब मिलने पर उन्हें ऐसा महसूस हुआ, जैसे वे कोई युद्ध जीत कर आए हैं।

दुकान खुली रही, माल मिलता रहा... इसी बाम का संतोष

सरकारी दुकान होने की वजह से शराबियों को भटकना नहीं पड़ा। जैसा कि ठेकेदारी प्रथा के समय दीपावली में दुकानें बंद रहती थी। लोग एक-एक बूंद शराब के लिए भटकते नजर आते थे। परंतु अब ऐसा नहीं होता। उन्हें इस बात का संतोष था कि दारू भरपूर मिला। खासतौर से ग्रामीण अंचल के लोग देशी और प्लेन शराब के लिए भीड़ लगाए हुए थे। दीपावली पर्व एवं चुनाव के दौरान नवापारा-राजिम के शराब दुकानों में कितने की बिक्री हुई? इसके आंकड़े लेने का प्रयास किया गया, परंतु संबंधित अफसरों से बात नहीं हो पाई।

ब्राण्ड का भारी टोटा

मध्यम और उच्च कहे जाने वाले शराबप्रेमियों को इस बात की शिकायत रही कि उनके मनपसंद ब्राण्ड नवापारा और राजिम के दुकान में मिल ही नहीं रहा है। जो डिमांड रहता है, उसके ठीक विपरीत दारू दी जाती है। जिसे मजबूरी में लेना बताते हैं।

यहां-वहां पीते रहते हैं लोग... दंड की परवाह नहीं

दोनों शहर में दारू लेने के बाद लोग जैसे-तैसे सड़क किनारे पुल-पुलियों, खाली पड़े जगहों पर या फिर अंडा ठेलों में पीते नजर आते हैं। क्योंकि आजकल सभी चीजें डिस्पोजल में मिलने लगा है। पता नहीं इन्हें आबकारी अधिनियमों की जानकारी है कि नहीं? बहरहाल आबकारी अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थलों पर पहली बार शराब पीते पकड़े जाने पर 1 हजार से 5 हजार रुपए और दूसरी बार पकड़े जाने पर 5 से 10 हजार रुपए तक जुर्माना और 3 महीने के कारावास का प्रावधान है। ठीक इसी तरह 5 लीटर से अधिक शराब रखने पर पहली बार पकड़ाए जाने पर 6 माह से 2 वर्ष तक कारावास और न्यूनतम 10 हजार से 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान है। दूसरी बार निर्धारित मात्रा से अधिक शराब रखने पर न्यूनतम 50 हजार से 2 लाख रुपए तक अर्थदंड और 1 से 5 वर्ष तक कारावास की सजा हो सकती है। बावजूद शहर के कई सार्वजनिक जगहों पर खुलेआम शराबखोरी रोजाना हो रही है। पुलिस गश्त के बावजूद खुलेआम सार्वजनिक स्थानों पर शराब का सेवन लगातार जारी है।

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