उत्सव का उमंग : देखिए मनरेगा मजदूर कैसे नाच गाकर मना रहे हैं छेरिक-छेरा पर्व

कुलजोत संधु- केशकाल। कोण्डागांव जिले के जनपद पंचायत फरसगांव अंतर्गत ग्राम पंचायत बड़ेडोंगर में चल रहे मनरेगा कार्य में लगे मनरेगा मजदूरों ने छेरिक-छेरा पर्व मनाया। यह छत्तीसगढ़ की संस्कृति का एक प्रतीक है, यह उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति की दान शीलता की परंपरा की याद दिलाता है।
आपको बता दें उत्साह और उमंग से जुड़ा छत्तीसगढ़ का मानस लोकपर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को सुदृण करने के लिए आदिकाल से संकल्पित रहा है। इस दौरान लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं। वहीं गांव के युवक घर-घर जाकर डंडा नृत्य करते हैं लोक परंपरा के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष छेरछेरा का त्यौहार मनाया जाता है। बच्चे, युवक और युवतियां घर-घर छेरछेरा मनाते हैं। वहीं युवाओं की टोली डंडा नृत्य कर घर-घर पहुंचती है धान मिसाई खत्म हो जाने के बाद गांव में घर-घर धान का भंडार होता है। जिसके चलते लोग छेरछेरा मनाने वालों को दान देने की परंपरा है। इस दिन प्रायः काम-काज बंद रहता है और अन्नपूर्णा देवी और मां शाकंभरी देवी की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है की कि जो भी बच्चों और युवक-युवतियों को अन्नदान करते हैं वह मोक्ष प्राप्त करते हैं। छेरछेरा के दिन कई घरों में खीर-खिचड़ी का भंडारा करते हैं। छत्तीसगढ़ का यह पर्व संस्कृति के साथ-साथ धार्मिक महत्व का भी पर्व माना जाता है।
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