सरकारी सिस्टम का निकम्मापन, अग्निकांड के बाद नर्सिंग-हास्पिटल की न जांच हुई, न रिपोर्ट बनी

पचपेड़ीनाका के राजधानी हॉस्पिटल में बीते 17 अप्रैल को हुए अग्निकांड में 7 मरीजों की मौत के बाद प्राइवेट हॉस्पिटलों और नर्सिंग होम्स में फायर फाइटिंग समेत सुरक्षा मानकों की जांच में सरकारी सिस्टम के निकम्मेपन की इंतहा हो गई। कलेक्टर द्वारा बनाई गई कमेटी ने दो महीने बाद भी एक भी अस्पताल की जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी।
कमेटी अस्पतालों और नर्सिग होम में जांच करने पहुंची या नहीं इसे लेकर भी संदेह है। नतीजतन अब भी सरकारी मानकों की अनदेखी कर सैकड़ों निजी नर्सिंग होम और हॉस्पिटल बेखौफ संचालित हो रहे हैं। लापरवाही का आलम यह है कि अब भी कई नर्सिंग होम और हॉस्पिटलों में अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
दरअसल तात्कालीन कलेक्टर एस. भारतीदासन ने जिलेभर में संचालित नर्सिंग होम और निजी अस्पतालों में फायर फाइटिंग की जांच के लिए कमेटी बनाई थी जिसे तीन कार्यदिवस में जांच कर रिपोर्ट देनी थी। दो महीने बाद भी कलेक्टर दफ्तर तक एक भी नर्सिंग होम व अस्पताल की जांच रिपोर्ट नहीं पहुंची है। अब पुलिस-प्रशासन के अफसर रिपोर्ट की तलाश कर रहे हैं आखिरकार जांच हुई तो रिपोर्ट कहां है?
23 अप्रैल को जारी हुआ था आदेश
जानकारी के मुताबिक तत्कालीन कलेक्टर डॉ. एस. भारतीदासन ने 23 अप्रैल को आदेश जारी किया था जिसमें प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम में फायर ऑडिट, फायर सेफ्टी प्रोटेक्शन से निर्धारित मानकों की जांच करने का जिक्र था। तीन कार्य दिवस में जांच कर रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपनी थी।
400 में से एक अस्पताल की नहीं बनी रिपोर्ट
जानकारी के मुताबिक रायपुर जिलेभर में कॉलोनियों से लेकर गली-मोहल्लों तक प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम फैले हुए हैं। छोटे-बड़े मिलाकर 400 से अधिक हॉस्पिटल व नर्सिंग होम हैं। इनमें सिर्फ शहर में 250 से अधिक हॉस्पिटल हैं लेकिन एक भी प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम की फायर ऑडिट की रिपोर्ट नहीं बनी। बाकी हॉस्पिटल और नर्सिंग होम की भी जांच चल रही है। सभी हॉस्पिटलों की जांच कब तक पूरी होगी यह बड़ा सवाल है?
इन्हें मिली थी जांच की जिम्मेदारी
जानकारी के मुताबिक जिलेभर के नर्सिंग होम और प्राइवेट हॉस्पिटलों की 12 बिंदुओं पर जांच करनी थी। इसके लिए 10 टीमें बनाई गई थीं। एसडीएम के नेतृत्व में नगर निगम के जोन कमिश्नर, फायर, बिजली विभाग और थाना प्रभारियों को शामिल किया गया था। वहीं नगर निगम इलाके के बाहर की जांच संबंधित एसडीएम को करनी थी।
इसलिए बनी थी जांच टीम
गौरतलब है बीते अप्रैल में राजधानी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के आईसीयू में आग लगने से सात मरीजों की मौत हो गई थी। मृतकों में रमेश साहू की जलने से, ईश्वर राव, वंदना गजमाला, देवकी सोनकर, भाग्यश्री और कुंभकरण की दम घूटने से मौत हो गई थी। जांच में हॉस्पिटल में फायर फाइटिंग से लेकर तमाम खामियां मिलीं थीं। इसके बाद कलेक्टर ने जिलेभर के प्राइवेट हॉस्पिटलों की जांच करने आदेश दिए थे।
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