पहली बार उनकी बात जिन्होंने कोरोना को दी दोबारा मात, ऐसे मामले केवल 0.005 प्रतिशत

पहली बार उनकी बात जिन्होंने कोरोना को दी दोबारा मात, ऐसे मामले केवल 0.005 प्रतिशत
X
एक साल के भीतर छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमितों की संख्या 3.21 लाख से ज्यादा हो चुकी है, मगर दोबारा संक्रमित होने वालों की संख्या 0.005 फीसदी है। यानी दोबारा संक्रमित एक लाख में मुश्किल से पांच लोग दोबारा संक्रमित हुए हैं। देखने में यह आंकड़ा बेहद कम दिखता है। लेकिन जो दोबारा संक्रमित हुए वे पहली बार से ज्यादा दिक्कतों से जूझे।

विकास शर्मा. रायपुर. एक साल के भीतर छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमितों की संख्या 3.21 लाख से ज्यादा हो चुकी है, मगर दोबारा संक्रमित होने वालों की संख्या 0.005 फीसदी है। यानी दोबारा संक्रमित एक लाख में मुश्किल से पांच लोग दोबारा संक्रमित हुए हैं। देखने में यह आंकड़ा बेहद कम दिखता है। लेकिन जो दोबारा संक्रमित हुए वे पहली बार से ज्यादा दिक्कतों से जूझे। यूं कहें कि दूसरी बार का अनुभव ज्यादा बुरा रहा, मगर सभी ने कोरोना को दोबारा हराने में सफलता हासिल की। इस विषय पर पूरी दुनिया में अभी रिसर्च चल रहे हैं और कोई भी यह बताने में कामयाब नहीं हो पाया है कि दोबारा संक्रमण की संभावना कितनी है और क्यों?

हरिभूमि ने पहली बार ऐसे लोगों के अनुभव को जानने का प्रयास किया, जिन्होंने कोरोना पर दूसरी बार जीत हासिल की। ऐसे लोगों को इस बात का पता नहीं चला कि उनसे कहां चूक हुई, जो कोविड का वायरस उन पर हावी हो गया। पहली बार तो ज्यादातर लोगों में सर्दी-खांसी और बुखार अथवा थकान जैसे लक्षण रहे, मगर दूसरी बार संक्रमित होने के दौरान कोरोना के मामले में उनका अनुभव कटु रहा। उन्हें इस वायरस का डर सताता रहा। दूसरी बार संक्रमण के दौरान इलाज की अवधि पहली बार की तुलना में अधिक रही, मगर सभी ने कोरोना के खिलाफ जीत दर्ज की। दूसरी बार इस संक्रमण का शिकार होने वालों का मानना है कि इससे बचाव का एकमात्र तरीका निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करना है। सभी लोगों को मास्क, सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेंस को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करना आवश्यक है और इसे सामाजिक जिम्मेदारी मानकर पूरा करना चाहिए।

पहली बार कम लक्षण वाले हो सकते हैं दोबारा संक्रमित

आंबेडकर अस्पताल के टीबी एवं चेस्ट रोग विशेषज्ञ डा. आरके पंडा के मुताबिक पहली बार संक्रमण के दौरान जिनमें वायरस के कम लक्षण होते हैं, उन्हें दूसरी बार संक्रमण का खतरा बना रहता है, इसलिए कोरोना से जंग जीतने के बाद भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। दूसरी बार संक्रमण की पहचान देर से होती है, इसलिए कई लोगों को अधिक परेशान करता है। कोरोना के वायरल लोड के आधार पर कोरोना मुक्त होने वाले के शरीर में एंटीबॉडी बनती है।

दोबारा संक्रमण के मामले बेहद कम, खतरा ज्यादा बड़ा नहीं

क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डा. ओपी सुंदरानी के मुताबिक कोरोना से दोबारा संक्रमित होने के मामले बहुत कम संख्या में सामने आए हैं। दोबारा पॉजिटिव के केस काफी अंतराल में सामने आते हैं, इसलिए इसे खतरनाक नहीं माना जा सकता। वर्तमान में कोरोना के केस बढ़े हैं, मगर दो से तीन मामले ही सामने आए हैं। अभी भी वक्त है, लोगों को इस संक्रमण से बचाव के लिए सजग रहने की जरूरत है।

ओपी पाल आईपीएस

दोबारा संक्रमित होने के दौरान थोड़ा असहज महसूस किया। जांच में इंफेक्शन अधिक होने का पता चला था, इलाज के बाद स्वस्थ हुआ। मेरी यही सलाह है कि लोगों को कोरोना से सुरक्षा उपाय को अपना सामाजिक दायित्व मानकर पालन करना चाहिए।

डा. स्निग्धा जैन चिकित्सक

पहली बार में संक्रमण काफी माइल्ड था, जो जल्दी ठीक हो गया था, मगर दूसरी बार पंद्रह दिन तक तेज बुखार की स्थिति रही, जिसकी वजह से काफी परेशानी हुई। मैं यही कहूंगी कि एक बार ठीक होने के बाद भी भी कोरोना से बचाव के लिए निर्धारित नियम का पालन सबको करना जरूरी है। वैक्सीन लगाने वालों को भी सावधानी रखी चाहिए। यह वक्त की जरूरत है।

याकूब मेेमन पुलिस इंस्पेक्टर

पहली बार कोरोना संक्रमित हुई। फिर ठीक हो गई। जांच में कोरोना नेगेटिव आया। लेकिन कुछ दिन बाद फिर परेशानी हुई। मलेरिया और टाइफाइड का संदेह था, जांच में दोबारा संक्रमण की जानकारी मिली। इस दौरान लंग्स में इंफेक्शन हो गया था, जिसका पंद्रह दिन तक इलाज चला। कोरोना का खतरा टला नहीं है लोगों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

आनंद सागर, निज सहायक, स्वास्थ्य मंत्री

पिछले दिनों असहज महसूस करने के दौरान जांच में पाॅजिटिव मिला। अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है जांच में इंफेक्शन का पता चला है। अनुभव के आधार पर यही कह सकता हूं कि दोबारा संक्रमण पहली बार से ज्यादा परेशान करता है। लोगों से अपील है कि कोरोना को हल्के में ना लें और सावधानी बरतें।

Tags

Next Story