बच्चों के इम्तिहान से पहले फोर्स हुआ पास : पांच घंटे तक लगातार आपरेशन चलाकर आकाबेड़ा मार्ग कर दिया बहाल...पढ़िए मौके पर मौजूद पत्रकार की रिपोर्ट

मोहम्मद इमरान खान /नारायणपुर। नेशनल हाईवे 130 डी को बहाल करने के लिए सुबह सवा 11 बजे के करीब बीडीएस की टीम आसमान से उतरी। जवानों के साथ घने जंगल और सड़क की जाँच पड़ताल कर अवरुद्ध मार्ग को खोल दिया गया। 5 घंटे तक जवानों की नजर हर आहट पर टकटकी लगाए हुई थी। आखिरकार स्कूली बच्चों की बोर्ड परीक्षा के इम्तिहान की घड़ी में फोर्स पास हो गई।

हमले के अंदेशे के बीच हौसले की जीत
सुनसान जंगल में नक्सली हमले के अंदेशे के बीच अंततः 55 घंटे बाद मार्ग को बहाल करने में पुलिस कामयाब हो पाई। इस दौरान ऐसा भी पल आया जब नक्सलियों के मुखबिरों की नजर फोर्स के जवानों पर पढ़ते ही जवान हाई अलर्ट हो गए थे। ऐसा लग रहा था मानो कुछ देर रुक गए तो कही हम भी नक्सली एम्बुश में फंस ना जाए। शाम लगभग 4 बजे रास्ता खुलने के बाद जवानों के बीच आँखो ही आँखो में बात हुई और जवान कुकड़ाझोर और आकाबेड़ा थाना की ओर लौट गए।
मौके पर हरिभूमि-INH न्यूज
नक्सलियों के टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपैन (TCOC) के दौरान आक्रमक रुख के बीच लाइव कवर करने की हमारी इच्छा भी पूरी हुई और हम भी अपनी बाइक उठाकर जिला मुख्यालय आ गए। मालूम हो कि हाल ही के दिनों में नक्सलियों के बारूदी विस्फोट से दो जान जाने की घटना होने के बाद से आकाबेड़ा मार्ग को ओपन करना पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण रहा हैं। गांव के राशन दुकान में राशन का संकट होने से पहले फरिश्ता बनकर पुलिस पहुंची और आवागमन सुचारू कर दिया है। इस तरह 55 घंटों से बाधित नेशनल हाईवे 130 डी को बहाल कर स्कूली बच्चों के साथ ग्रामीणों को बड़ी राहत मिली है।
TCOC पुलिस और फोर्स के लिए बड़ी चुनौती
नक्सलियों के टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपैन पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। टीसीओसी के दौरान नारायणपुर में नक्सली गतिविधिया बढ़ गई हैं। नक्सलियों के द्वारा नेशनल हाईवे परआकाबेड़ा के पास सड़क को खोदकर क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। वहीं मोबाइल टावर के केबल को आग के हवाले कर संचार व्यवस्था को ठप कर दिया। पिछले 3 दिनों से मार्ग बाधित होने के बाद मंगलवार को हेलीकॉप्टर की मदद से बम निरोधक दस्ते को आकाबेडा भेज कर मार्ग को बहाल किया गया हैं। एसडीओपी विनय कुमार साहू के नेतृत्व में बम निरोधी दस्ते को हेलीकॉप्टर की मदद से आकाबेड़ा पुलिस कैंप भेजा गया था।
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