सूर्यकांत तिवारी, IAS समीर समेत चारों आरोपी भेजे गए जेल : कोर्ट ने एक दिन के लिए न्यायिक रिमांड पर भेजा, कल फिर सुनवाई

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मनी लान्ड्रिंग के आरोपियों को अदालत से थोड़ी राहत मिल गई है। अदालत ने इस मामले में गिरफ्तार कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, अन्य को राहत देते हुए, कल सुनवाई की बात कही है। ED की विशेष अदालत ने चारो आरोपियों को न्यायिक रिमांड पर एक दिन के लिए जेल भेज दिया है। इस मामले में कल फिर से अदालत की सुनवाई होगी
दरअसल इस मामले में आरोपी पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने बताया कि ED ने कर्नाटक के बेंगलुरु में दर्ज मामले के आधार पर शिकायत दर्ज की थी। उस मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्टे कर दिया है। वहीं, आज की सुनवाई में उन्होंने कहा, अगर मूल एफआईआर पर किसी कार्रवाई से स्टे मिल गया है, तो उससे संबंधित सभी कार्रवाईयां रुक जानी चाहिए। इस मान से ED की यह पूछताछ भी गैर-कानूनी होगी। इसलिए सभी आरोपियों को तत्काल रिहा किया जाए।
ईडी ने मांगा समय
वहीं, इस मामले में ED के वकीलों ने सूर्यकांत तिवारी के लिए दो दिनों की रिमांड बढ़ाने का आग्रह किया था। पहले से न्यायिक रिमांड पर जेल भेजे जा चुके तीनों आरोपियों की न्यायिक रिमांड अवधि बढ़ाने की मांग थी। कर्नाटक हाईकोर्ट के निर्णय और मद्रास हाईकोर्ट के न्यायनिर्णय का हवाला मिलने के बाद ED ने जवाब देने के लिए समय मांगा है।
जवाब से संतुष्ट होगी अदलात तो मिलेगी रिमांड
अदालत ने ED को जवाब देने के लिए शुक्रवार तक का वक्त दिया है। तब तक सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश जारी हुआ। वहीं, अब कल फिर से आरोपियों को न्यायालय लाया जाएगा। इस दौरान ED अपना जवाब पेश करेगी। यदि ED अपने जवाब से अदालत को संतुष्ट कर पाई तो, उन्हें रिमांड मिल सकती है। वरना चारो आरोपियों को रिहा करने का आदेश जारी हो सकता है।
अपराध की जांच ही स्टे है तो ED कार्रवाई कैसे कर सकती है?
इस मामले में आरोपी पक्ष के वकील विजय अग्रवाल ने बताया कि सूर्यकांत तिवारी के खिलाफ बेंगलुरू में जो केस दर्ज है वह मोबाइल तोड़ने और कागज खा लेने जैसे आरोपों पर है। हमने अदालत से कहा है, इस मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग केस बनता ही नहीं है। इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट से स्टे है। जब मुख्य अपराध की जांच ही स्टे है तो ED कार्रवाई कैसे कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस मामले में आरोपियों को जेल न भेजा जाए, अगर जेल ही भेजना है तो हाउस अरेस्ट में रख सकते हैं।
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