आठवीं शताब्दी की मां चामुंडा और विष्णु भगवान की खंडित मूर्ति मिली

आठवीं शताब्दी की मां चामुंडा और विष्णु भगवान की खंडित मूर्ति मिली
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छत्तीसगढ़ की प्राचीन राजधानी सिरपुर स्थित आरंग क्षेत्र के झलमला तालाब में गहरीकरण के दौरान मां चामुंडा और भगवान विष्णु की खंडित मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। इसके साथ एक शिलालेख भी प्राप्त हुआ है, जिसे भी विभाग द्वारा स्थल निरीक्षण कर घासीदास संग्रहालय ले आया गया है। खंडित मूर्तियों की पहचान पाण्डुवंश काल की 7वीं व 8वीं शताब्दी के रूप में की गई है।

रायपुर. छत्तीसगढ़ की प्राचीन राजधानी सिरपुर स्थित आरंग क्षेत्र के झलमला तालाब में गहरीकरण के दौरान मां चामुंडा और भगवान विष्णु की खंडित मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। इसके साथ एक शिलालेख भी प्राप्त हुआ है, जिसे भी विभाग द्वारा स्थल निरीक्षण कर घासीदास संग्रहालय ले आया गया है। खंडित मूर्तियों की पहचान पाण्डुवंश काल की 7वीं व 8वीं शताब्दी के रूप में की गई है।

पुरातत्व विभाग संचालक विवेक आचार्य ने बातचीत में बताया, बीते दिनों मूर्ति मिलने की सूचना मिलने के बाद विभाग का दल निरीक्षण करने पहुंचा था। विष्णु भगवान की मूर्ति में किरीट मुकुट धारण होने से इसकी पहचान विष्णु के रूप में की गई है। मां चामुंडा की तरह मूर्ति पहले भी सिरपुर क्षेत्र में प्राप्त हुई थी। दोनों मूर्तियों का खंडित भाग ही मिला है। इसके साथ विभाग के दल को शिलालेख का छोटा भाग मिला है, जो आरंग के समिया माता मंदिर में पुजारी के पास था। यह शिलालेख कुटिल नागरी लिपि और संस्कृत भाषा में लिखा हुआ है, जो पांडुवंशी काल का है। शिलालेख सभी दिशाओं से खंडित है, इसलिए पुरातत्व प्राचीन की जानकारी वाचन के बाद हो सकेगी।

खुदाई करने जगह नहीं

आरंग क्षेत्र से पहली सभी मूर्तियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। विभाग का कहना है, जिस जगह पर हमें मूर्तियां मिली हैं, उस जगह घर बसे हुए हैं। लोगों का अतिक्रमण भी है। इसीलिए खुदाई का कार्य नहीं किया जा सका। विभाग ने जिला कलेक्टर से पत्राचार के माध्यम से जिले में खुदाई के लिए पुरातत्व की अनुमति लेने की बात कही है, ताकि खुदाई से मिली प्राचीन चीजों को संग्रहालय में सुरक्षित रखा जा सके।

संग्रहालय में रखा जाएगा

बीते दिनों मूर्ति मिलने की सूचना प्राप्त हुई थी, जिसके बाद विभाग की टीम निरीक्षण करने गई थी। दो खंडित मूर्तियों को साफ कर केमिकल लगाया गया है, ताकि मजबूती को बरकरार रखा जाए। मूर्तियों के बारे विस्तार से अभिलेखन कर संग्रहालय में रखा जाएगा, ताकि लोग मूर्ति के इतिहास से अवगत हो सकें।

- विवेक आचार्य, संस्कृति व पुरातत्व विभाग संचालक

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