Fraud Case : विधवा आदिवासी महिलाओं का लाखों खा गया श्रम निरीक्षक, पीड़िताओं के हाथ नहीं लगा एक भी रुपया

Fraud Case : विधवा आदिवासी महिलाओं का लाखों खा गया श्रम निरीक्षक, पीड़िताओं के हाथ नहीं लगा एक भी रुपया
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महिलाओं के अनुसार एजेंट ने उन्हें ऑनलाइन आवेदन के नाम पर अपने साथ लाये लैपटॉप एवं फिंगर प्रिंट मशीन में अंगूठे का निशान भी लिया था। इसके बावजूद उन्हें अब तक राशि नहीं मिल पाई थी। पढ़िए पूरी खबर...

देवेश साहू–बलौदाबाजार। श्रम विभाग के अधिकारियों और कथित एजेंटों द्वारा लाखों रुपए के गबन (Fraud Case) का मामला सामने आया है। पीड़ित आदिवासी महिलाओं ने इसकी शिकायत श्रम कार्यालय में की है। गबन की राशि वापस दिलाने और मामले में संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग महिलाओं ने की है।

मिली जानकारी के मुताबिक, ग्राम कोलियरी निवासी तीन आदिवासी महिलाओं तीजन बाई ध्रुव, रम्हीन ध्रुव, टिकेश्वरी ध्रुव ने राज्यपाल, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और उच्च अधिकारियों के समक्ष शपथ पत्र सहित शिकायती पत्र भेजा है। जिसमें उल्लेख है कि, महिलाओं के मृत पतियों के नाम से श्रम विभाग में छत्तीसगढ़ भवन सन्निर्माण योजना के तहत पंजीयन था, जिसके अंतर्गत मृत्यु होने पर मृतक के आश्रित अथवा उत्तराधिकारी को 1 लाख रुपए की अनुदान राशि दिये जाने का प्रावधान है। पति की मृत्यु होने के पर योजना का लाभ लेने के लिए पीड़ित महिलाएं वर्ष 2019 में बलौदाबाजार के जिला श्रम विभाग कार्यालय पहुंची, जहां उनकी मुलाकात श्रम निरीक्षक से हुई, उक्त श्रम निरीक्षक ने पीड़ित महिलाओं को ग्राम रवान निवासी मीना नामक महिला से परिचय कराया। निरीक्षक ने उन्हें बताया कि महिला श्रम कार्यालय में एजेंट के रूप में कार्य करती है और आवश्यक प्रक्रिया कर योजना का लाभ दिला सकती है। जिसके पश्चात् श्रम निरीक्षक ने सारे दस्तावेज मीना के पास जमा करने को कहा।। महिलाओं ने मीना को आवश्यक दस्तावेज दे दिया, जिसके पश्चात् उसने इन महिलाओं को ग्राम करमदा बुलाया। महिलाओं के अनुसार एजेंट ने उन्हें ऑनलाइन आवेदन के नाम पर अपने साथ लाये लैपटॉप एवं फिंगर प्रिंट मशीन में अंगूठे का निशान भी लिया था। इसके बावजूद उन्हें अब तक राशि नहीं मिल पाई थी।

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महिलाओं के नाम से खुला खाता, अनुदान राशि भी गायब

जिसके पश्चात् उन्होंने विभाग के कुछ अन्य जानकारों से सम्पर्क किया तो महिलाओं को ज्ञात हुआ कि 20 अक्टूबर 2021 को ही सभी की राशि स्वीकृत होकर भाटापारा स्थित एक राष्ट्रीयकृत बैंक के खाते में शासन द्वारा भेज दिया गया था। महिलाओं को इस खाता के खोले जाने की जानकारी भी नहीं थी। जब उन्होंने बैंक से सम्पर्क किया तो राशि दो वर्ष पूर्व ही निकाल लिये जाने की जानकारी दी गई। पीड़ित आदिवासी महिलाओं ने परेशान होकर इसकी शिकायत करते हुए तत्कालीन श्रम निरीक्षक, एजेंट एवं बैंक के अधिकारी, कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की है।

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अफसर ऐसे झाड़ रहे पल्ला

इस संबंध में जिला श्रम पदाधिकारी आजाद सिंह पात्रे से पूछने पर उन्होंने बताया कि मामला उनके बलौदाबाजार जिले में पदस्थ होने के पहले का है। उन्हें महिलाओं का आवेदन मिला है। जिस पर जांच कर कार्रवाई की जायेगी। वहीं पूर्व श्रम निरीक्षक मनोज मंडलेश्वर ने कहा कि, उनका कार्य सिर्फ ऑनलाइन प्राप्त आवेदनों की जॉच कर अग्रिम कार्रवाई हेतु भेजना है। उन्होंने यह भी कहा कि राशि स्वीकृति का अधिकार उस दौरान बलौदाबाजार में पदस्थ एक अन्य श्रम निरीक्षक को दिया गया था।

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