पॉलिसी रिवाइव का झांसा- प्रिंसिपल से ठगे 39 लाख, बैंक-कॉर्पोरेट ग्राहकों का डाटा बेचने का काला कारोबार

रायपुर: डीडीनगर थाने में एक रिटायर्ड प्रिंसिपल ने 39 लाख रुपए की ठगी करने की रिपोर्ट दर्ज कराई है। ठगों ने प्रिंसिपल से एक वर्ष से उनकी बंद पॉलिसी को चालू कराने के नाम पर तथा पुराने जमा पैसों को ब्याज सहित दिलाने का झांसा देकर ठगी का शिकार बनाया। प्रिंसिपल की शिकायत पर पुलिस ने अपराध दर्ज कर मामले की पतासाजी करने केस सायबर सेल के हवाले कर दिया है। पुलिस ने मामले की पड़ताल करते हुए ठगों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलने का दावा किया है।
पुलिस के मुताबिक रिटायर्ड प्रिंसिपल उदय रावले ने ठगी की शिकायत दर्ज कराई है। उदय ने पुलिस को बताया है कि उसके पास 14 अगस्त को दो अलग-अलग अज्ञात नंबरों से कॉल आए। कॉल करने वाले ने अपना परिचय बैंक लोकपाल के रूप में देते हुए उनकी बंद पॉलिसी को रिवाइव करने का झांसा देते हुए पॉलिसिी के ब्याज समेत रुपए ट्रांसफर करने का झांसा देकर ठगी की घटना को अंजाम दिया। ठगों ने प्रिंसिपल से अलग-अलग 18 बैंक खातों में उससे रुपए ट्रांसफर कराकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया। उल्लेखनीय है कि ठगों ने प्रिंसिपल को अपने पुराने पैटर्न पर लाखों का चूना लगाया है। ठग उन्हीं लोगों को अपने झांसे में लेते हैं, जिनकी पॉलिसी बंद हो चुका हो या मैच्योरिटी की कगार पर हो, ऐसे लोगों को ज्यादा मुनाफा दिलाने का झांसा देकर ठगी की घटना को अंजाम देते हैं।
साइबर सेल प्रभारी टीआई गिरीश तिवारी के मुताबिक देश में बड़े पैमाने पर बैंक से लेकर अन्य कंपनियों के ग्राहकों के डेटा सेल करने वाले लोग हैं। उसी डेटा सेलिंग करने वाले लोगों से हैकर बल्क में डेटा खरीद-खरीद कर लोगों से संपर्क करते हैं और सेलर से प्राप्त डेटा के आधार पर ग्राहकों की डिटेल निकालकर संपर्क करते हैं। जो ग्राहक हैकर के झांसे में आ जाता है, हैकर्स उनके साथ ठगी की घटना को अंजाम देते हैं।
नार्थ इंडिया में सक्रिय हैकर
बैंक, अलग-अलग पॉलिसी कंपनी के ग्राहकों को आकर्षक ब्याज देने का झांसा देकर ठगी करने का ट्रेंड ज्यादातर उत्तर भारत के राज्य दिल्ली, नोएडा तथा राजस्थान के हैकर्स करते हैं। हैकर्स दिल्ली, नोएडा में अलग-अलग कस्टमर केयर के नाम से एजेंसी खोलकर लोगों से संपर्क करते हैं। इस काम के लिए बकायादा हैकर्स अपने साथ वर्कर रखते हैं। साथ ही वर्कर को भी इस बात की भनक नहीं लगने देते कि वे हैकर हैं। यहां तक कि आस-पड़ोस के लोगों को भी अपने हैकर्स होने की भनक नहीं लगने देते। पुलिस का जब इनके ठिकानों में छापा पड़ता है, तब लोगों को और उनके यहां काम करने वालों को हैकर के बारे में जानकारी मिलती है।
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