गजराज आतंक : नए DFO ने निकाली नई तरकीब, सड़क के दोनों तरफ दो सौ मीटर तक गड्ढा खोदेंगे, 'गजराज बाधा' से बचेंगी जानें...

सूरजपुर. सूरजपुर जिले में हाथियों का आतंक एक स्थाई समस्या बनकर रह गया है. खासकर सूरजपुर जिले के प्रतापपुर रेंज में हाथियों का पसंदीदा रहवासी क्षेत्र बन गया है. लिहाजा हाथी और इंसानों के बीच का द्वंद सबसे अधिक मामला यहीं से सामने आता है. आपको बता दें जिले में करीब दो दर्जन हाथियों की उपस्थिति साल भर बनी रहती है. जिनका जिले में एक से दूसरे रेंज में विचरण का सिलसिला चलता रहता है. लिहाजा इनके विचरण क्षेत्र में इंसानों के साथ सामना होने की संभावना बढ़ जाती है और असमय ही इंसानो की जान चली जाती है.
ख़ासकर महुआ बीनने के सीजन में इस तरह की घटनाएं बढ़ जाती है. इस समय ग्रामीण महुआ बीनने जंगल जाते हैं. जबकि हाथियों का पसंदीदा भोजन में महुआ भी शामिल है. जिसे खाने हाथी निकलते हैं और इसी दौरान इंसानों का हाथियों के साथ सामना हो जाता है और हमले का शिकार हो जाते हैं. तो वहीं ये समस्या वन विभाग के लिए भी स्थायी बन चुका है. जिससे निजात दिलाने वन विभाग भी सिर्फ नए तरकीब निकालने में ही जुटा है लेकिन कोई ऐसी तरकीब आज तक वन विभाग के हाथ नहीं लग पाई है जिसे वो धरातल पर लागू कर सके.
इन सबमें एक समस्या जंगलों के बीच से गुजरने वाली सड़क पर देखा गया है जहाँ से आये दिन हाथी पार करते देखा जा सकता. इसी दौरान आवागमन करने वाले यात्री हाथियों के हमले का शिकार बन जाते हैं. इस समस्या को देखते हुए जिले के नए डीएफओ मनीष कश्यप ने एक नए तरीके से उन स्थानों को चिन्हित कर सड़क के दोनों ओर करीब दो सौ मीटर का गड्ढा खोदकर उनके आवागमन को रोकने का प्रयास किया जाएगा. उन सड़कों के किनारे ऐसे गड्ढे खोदने से हाथी तेजी से सड़क पार नहीं करते. क्योंकि हाथियों को गड्ढ़े पार करने में दिक्कत होती है. जिससे सड़क पर आवागमन करने वालों को उस जगह से निकलने में समय मिल जाएगा. वहीं राहत की बात यह है कि अभी तक महुआ बीनने गए लोगों का सामना हाथी से नहीं हुआ है. वन अमला सुबह शाम गांव में पहुच कर लाउडस्पीकर से लोगों को हाथी की लोकेशन की जानकारी देते हैं.
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