Ganesh Chaturthi : शश, गजकेसरी, अमला व पराक्रम राजयोग संग स्थापना के लिए सिर्फ 2 घंटे 27 मिनट, रात 8.44 तक चंद्रदर्शन वर्जित

रायपुर। स्वाति नक्षत्र (Swati Nakshatra)और अभिजीत मुहूर्त (Abhijeet Muhurta)में देवी पार्वती ने गणपति प्रतिमा बनाई और शिवजी ने उसमें प्राण डाले थे। आज भी वे ही योग-संयोग के दौरान भादो की चतुर्थी तिथि को थे । गणेश स्थापना (Ganesh Sthapana)पर शश, निर्मित हो रहे हैं, जो गणेश जन्म गजकेसरी, अमला और पराक्रम नाम के राजयोग मिलकर चतुर्महायोग बना रहे हैं। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि शुरू 18 सितंबर दोपहर 2 बजकर 9 मिनट को प्रारंभ हो चुकी है। आज दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर यह तिथि समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर गणेश स्थापना आज होगी ।
पौराणिक कथा के अनुसार गणपति का जन्म दोपहर के समय हुआ था, इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन मध्याहन का समय गणपति स्थापना और पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मध्यान्ह में स्थापना के लिए केवल 2 घंटे 27 मिनट मिलेंगे। सुबह 11 बजकर एक मिनट से दोपहर 1 बजकर 25 मिनट तक यह मुहूर्त रहेगा। गणेश चतुर्थी पर चंद्रदर्शन वर्जित रहता है। आज चंद्रदर्शन का वर्जित समय सुबह 9 बजकर 45 मिनट से रात 8 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
रवि योग प्रातः 6.08 बजे से
सितंबर को गणेश चतुर्थी पर रवि योग सुबह 6 बजकर 8 मिनट से बन रहा है और यह दोपहर 101 बजकर 48 मिनट पर खत्म होगा। गणेश चतुर्थी की पूजा रवियोग में कर सकते हैं। इस योग में पूजन शुभ माना जाता है। सुबह 10.54 से दोपहर 1 बजकर 10 मिनट तक वृश्चिक लग्न रहेगा। गणेश चतुर्थी पर प्रातः 6 बजकर 8 मिनट से दोपहर 1 बजकर 45 मिनट तक भ्रदा रहेगा । लेकिन यह भद्रा पाताल लोक की है, इसलिए पृथ्वीलोक पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। पंडितों के अनुसार, दोपहर में ही गणेश जी की स्थापना और पूजा करनी चाहिए। समय नहीं मिल पाए तो किसी भी शुभ लग्न या चौघड़या मुहूर्त में भी गणपति स्थापना की जा सकती है।
1.30 बजे तक कर लें स्थापना
महाकालेश्वर, उज्जैन के पंडित महेश ने बताया कि, घर में गणपति की स्थापना कर रहे हैं तो मध्यान्ह 12 बजे प्रतिमा लेकर आएं। सुबह 10 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक स्थापना करना शुभ है। यदि इस वक्त नहीं कर पाएं तो चौघड़िया मुहूर्त या शुभ लग्न में स्थापना करें।
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