गोधन न्याय योजना बनी वरदान : गोबर बेचकर पशु पालकों ने कमाए 12.76 करोड़ रुपए, किसी ने बनाया मकान तो किसी ने ट्रैक्टर की किश्त पटाई

रायगढ़। कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ में 70 प्रतिशत से अधिक आबादी गांवों में निवास करती है। यहां श्रम शक्ति का बड़ा हिस्सा खेती किसानी में लगा है। ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में लगातार कार्य कर रही है। शासन की राजीव गांधी किसान न्याय योजना के साथ ही बहुउद्देशीय गोधन न्याय योजना इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
गांवों में पशुओं के लिए सुरक्षित हुई जमीन
इस योजना के प्रारंभ होने से आज गांवों में गौठानों निर्माण से वहां सरकारी भूमि पशुधन के लिए सुरक्षित हो गई है। गौठानों में पशुओं के लिए चारे पानी की व्यवस्था की जा रही है। इससे गौठान अब आजीविका केंद्र के रूप में भी विकसित हुए हैं। गौठान, देश में अपने तरह की अनूठी गोधन न्याय योजना है, जिसमें किसान और पशुपालक गोबर विक्रय कर लाभ कमा रहे हैं। प्रदेश के जिलों में गोधन न्याय योजना की शुरुआत से अब तक करीब 12 करोड़ 76 लाख रुपए पशुपालकों ने गोबर बेच कर प्राप्त किए हैं। गोधन न्याय योजना का लाभ सिर्फ पशुपालकों को ही नहीं मिल रहा है, बल्कि इससे जैविक कृषि को बढ़ावा मिल रहा है। इसके लिए गौठानों में वर्मी कंपोस्ट का भी निर्माण किया जा रहा है।
आजीविका संवर्धन में कारगर साबित हो रही योजना
इसके साथ ही गौठानों में आजीविका संवर्धन के लिए विभिन्न गतिविधियां भी चलाई जा रही हैं, जिससे जुड़कर महिला समूह कई तरीके के नए कार्य भी सीख रही हैं। कुटीर उद्योगों की भांति विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार कर रही हैं, जिसमें सब्जी उत्पादन का कार्य प्रमुख है। सिलाई, रेशम धागा रीलिंग, अचार, बड़ी, पापड़ गृह उत्पाद में तैयार कर रही है। फ्लाई ऐश ब्रिक, मशरूम उत्पादन, जुट बैग बनाने जैसे कामों में हाथ आजमा रही हैं, जिसके विपणन की व्यवस्था भी सी मार्ट के माध्यम से की गई। इसके साथ ही लोकल मार्केट लिंकेज का काम भी किया जा रहा है।
गोबर बेच मिले पैसों से पूरा किया मकान का सपना, भरी ट्रैक्टर की किश्त
शासन की योजनाएं लोगों को कैसे सशक्त बनाती हैं, कैसे उन्हें अपने सपने पूरा करने में मदद करती हैं, इसका उदाहरण गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों में देखने को मिल रहा है। धरमजयगढ़ विकासखंड के बासाझार के पशुपालक रमेश कुमार बघेल ने इस योजना से अब तक 1 लाख रुपए कमाए हैं, जिसका उपयोग उन्होंने अपने मकान का निर्माण पूरा करने में किया। इसी प्रकार उदउदा की पार्वती यादव को योजना से 77 हजार रुपए मिले, जिसका उपयोग उन्होंने घर में खेती किसानी के लिए ट्रैक्टर की किश्त चुकाने में किया।
किसानों ने गौठानों में 2 लाख 22 हजार क्विंटल पैरादान किया
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आह्वान पर किसानों ने खेतों में पराली को जलाना बंद कर गौठानों में पैरादान कर पर्यावरण हितैषी परंपरा की शुरुआत की, जो गौठान में पशुधन के लिए चारे के काम आता है। इस पहल से खेतों में पैरा को जलाने से पर्यावरण और खेत की मिट्टी को होने वाले नुकसान से बचाव के साथ ही पशु आहार की भी व्यवस्था हो रही है। गत वर्ष खरीफ फसल के पश्चात बड़े पैमाने पर किसानों ने पैरादान किया। किसानों द्वारा 2 लाख 22 हजार क्विंटल पैरादान जिले के गौठानों में किया।
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