खुशखबरी : आंगनबाड़ीकर्मियों को दिवाली के पहले भुगतान, 'हरिभूमि डॉट कॉम' की खबर का असर

खुशखबरी : आंगनबाड़ीकर्मियों को दिवाली के पहले भुगतान, हरिभूमि डॉट कॉम की खबर का असर
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धनतेरस तो आज जैसे-तैसे गुजर रहा है, लेकिन दिवाली के पहले छत्तीसगढ़ की आंगनबाड़ीकर्मियों को हड़ताल अवधि के लंबित मानदेय का भ़ुगतान हो जाएगा। ‘हरिभूमि डॉट कॉम’ में खबर प्रकाशित होने के बाद मंत्री अनिला भेड़िया ने संज्ञान लिया है और डायरेक्टोरेट के अफसरों को निर्देश दिया है। पढ़िए पूरी खबर-

रायपुर। महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया के निर्देश पर प्रदेश की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के हड़ताल अवधि का रुका हुआ मानदेय भुगतान का आदेश जारी किया जा चुका है। दीवाली के पहले आंगनबाड़ी कर्मियों के खाते में राशि अंतरित हो जाएगी। विभागीय संचालक दिव्या उमेश मिश्रा ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के मानदेय का अलॉटमेंट भी जारी किया जा चुका है।

गौरतलब है कि 1 नवंबर 2021 को 'हरिभूमि डॉट कॉम' ने 'आंगनबाड़ी : सिर पर दिवाली, हाथ में फूटी कौड़ी नहीं, आंदोलन न करें तो क्या करें' शीर्षक के साथ खबर प्रकाशित की थी। इस खबर में बताया गया कि अल्प मानदेय में काम करने वाली आंगनबाड़ीकर्मियों को हड़ताल अवधि का रुका हुआ मानदेय न मिलने के कारण उनकी दिवाली फीकी हो सकती है। अब तक भुगतान न होने के कारण आंगनबाड़ीकर्मियों में व्याप्त मायूसी और हताशा का भी उस समाचार में जिक्र किया गया था। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने स्वयं इस पर संज्ञान लिया है और संचालनालय के अधिकारियों को निर्देश देकर लंबित भुगतान में तेजी लाते हुए हर हाल में दिवाली से पहले आंगनबाड़ीकर्मियों के बैंक खातों तक रुपए पहुंचाने कहा है। विभाग की डायरेक्टर दिव्या उमेश मिश्रा ने भी जिला स्तर के अधिकारियों को कहा है कि वे परियोजना कार्यालयों से तत्काल समन्वय स्थापित करते हुए आंगनबाड़ीकर्मियों के बैंक अकाउंट तक भुगतान पहुंचाना सुनिश्चित करेंगे। संचालनालय के सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि यदि किसी कर्मचारी या अधिकारी की लेट-लतीफी या लापरवाही के कारण किसी भी आंगनबाड़ीकर्मी के बैंक खाते में लंबित भुगतान करने में विलंब होता है, तो शिकायत होते ही दोषी अधिकारी/कर्मचारी पर कार्रवाई की जाएगी। इसे भी पढ़ें - 'आंगनबाड़ी : सिर पर दिवाली, हाथ में फूटी कौड़ी नहीं, आंदोलन न करें तो क्या करें'.

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