ई-क्लीनिक के नाम पर गोरखधंधा : महज 10वीं-12वीं पास युवाओं को बना दिया डॉक्टर, चल रहा था बड़े अस्पतालों में रिफर करने का खेल... कैसे उजागर हुआ, पढ़िए

ई-क्लीनिक के नाम पर गोरखधंधा : महज 10वीं-12वीं पास युवाओं को बना दिया डॉक्टर, चल रहा था बड़े अस्पतालों में रिफर करने का खेल... कैसे उजागर हुआ, पढ़िए
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10 वीं और 12 पास लड़के-लड़कियों को एक महीने की ट्रेनिंग देकर उनसे ग्रामीणों का इलाज कराया जा रहा था। ई क्लीनिक के जरिए गांव में मरीजों का इलाज कराकर बिलासपुर और रायपुर के निजी अस्पतालों में रिफर कर ले जाने का गोरखधंधा चल रहा था। पढ़िए पूरी खबर...

आकाश पवार-पेंड्रा। छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में बिना अनुमति के संचालित क्लीनिक और हेल्थ सेंटर्स पर प्रशासन की टीम ने छापामार कार्रवाई की है। अवैध तरीके से संचालित नरेश हेल्थ सेंटर के ई क्लिनिक को सील कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि, पिछले काफी दिनों से जिले में पेंड्रा, पेंड्रा रोड, मरवाही के ग्रामीण इलाके में नरेश हेल्थ सेंटर के नाम से ई क्लिनिक चलाया जा रहा था। जिसमे ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले 10 वीं और 12 पास लड़के-लड़कियों को एक महीने की ट्रेनिंग देकर उनसे ग्रामीणों का इलाज कराया जा रहा था। ई क्लीनिक के जरिए गांव में मरीजों का इलाज कराकर बिलासपुर और रायपुर के निजी अस्पतालों में रिफर कर ले जाने का गोरखधंधा चल रहा था।


झोला छाप डॉक्टर पर कार्रवाई

कलेक्टर प्रियंका ऋषि महोबिया ने बिना अनुमति के संचालित हेल्थ केयर सेंटर पर कार्रवाई करने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिया। इसके बाद अनुविभागीय अधिकारी पेंड्रा रोड पुष्पेंद्र शर्मा, प्रभारी तहसीलदार पेंड्रा रोड अविनाश कुजूर, बीएमओ गौरेला डॉ अभिमन्यु, हल्का पटवारी विनोद जगत की टीम ने कार्रवाई शुरू की। नरेश हेल्थ केयर ने बिना अनुमति संचालित दुर्गावती तिराहा, गौरेला, बांधामुड़ा गौरेला, सारबहरा, देवरगांव में संचालित ई क्लीनिक सेंटर सील कर दिए गए है। इस दौरान जिले के ग्राम बस्ती में भी अवैध रूप से संचालित पाए जाने पर झोलाछाप डॉक्टर का क्लिनिक सील किया गया।

10वीं -12वीं पास लड़के लड़कियों से पैसे लेकर उनसे इलाज

गौरेला बीएमओ डॉ अभिमन्यु सिंह ने बताया कि, जिले में काफी संख्या में ई क्लिनिक के नाम से गांव - गांव में सेंटर खोले गए हैं। बीएमओ ने बताया कि, उन्हें सिर्फ परामर्श सेंटर के रूप में काम करना था लेकिन उन्होंने 10वीं 12वीं पास लड़के-लड़कियों को ट्रेनिंग देकर उनसे इलाज कराना शुरू कर दिया गया था।

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