गांवों तक पहुंच रही सरकारी योजनाएं : सफलतापूर्वक उद्यम चलाने लगी हैं महिलाएं, मिनी राइस मिल से कमाई के साथ ग्रामीणों को सुविधा भी

सचिन अग्रहरि-राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ शासन की रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास के लिए तैयार की गई सशक्त संरचना के सुखद परिणाम मिल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्यम को बढ़ावा मिलने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की संकल्पना फलीभूत हो रही है। असीम संभावनाओं से भरपूर रूरल इंडस्ट्रियल पार्क ग्रामीण क्षेत्रों के समूह की महिलाओं के लिए उम्मीद की रोशनी बने हैं।
शासन की महत्वाकांक्षी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना से मां बंजारी स्वसहायता समूह की महिलाओं का एक सफल उद्यमी बनने का सपना पूरा हो रहा है। छुरिया विकासखंड के ग्राम कल्लुबंजारी में रीपा योजना अंतर्गत मां बंजारी स्वसहायता समूह की महिलाओं ने 20 लाख 10 हजार रुपए की लागत से फ्लाईऐस ब्रिक्स निर्माण इकाई स्थापित की है। जिसके लिए रीपा योजना अंतर्गत वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। फ्लाईऐस ब्रिक्स का विक्रय स्थानीय ग्रामों में भवन निर्माण, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के भवन और अन्य निर्माण कार्य में किया जा रहा है। कलेक्टर डोमन सिंह के मार्गदर्शन और जिला पंचायत सीईओ अमित कुमार के निर्देशन में रीपा अंतर्गत अधोसंरचना विकसित की गई है।
कल्लू बंजारी रीपा में लगाए गये हैं अलग-अलग यूनिट
छुरिया विकासखंड स्थित कल्लूबंजारी रीपा में समूह द्वारा निर्मित 70 हजार ब्रिक्स में से 65 हजार ब्रिक्स का विक्रय किया जा चुका है। ब्रिक्स निर्माण से अब तक 50 हजार रूपए का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ है। इस इकाई का संचालन 10 श्रमिक कर रहे हैं। प्रतिदिन निर्माण कार्य चलने से श्रमिक खुश हैं। प्रति व्यक्ति महीने में 5 हजार रूपए की आमदनी हो रही है। उल्लेखनीय है कि, कल्लूबंजारी रीपा में फ्लाईऐस ब्रिक्स के अलावा मसाला यूनिट, चना-मुर्रा यूनिट, सिलाई मशीन, कारपेंटर, तार फेंसिंग, तेलघानी यूनिट, गुलाल यूनिट लगाये गए हैं और कार्य करने के लिए वर्क शेड भी बनाए गए हैं।
मिनी राइस मिल खुलने से महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर
गांव की महिलाएं भी अब आत्मनिर्भर बनकर परिवार को आर्थिक सहायता देने के लिए आगे आ रही हैं। जिले के बस्तर ब्लॉक अंतर्गत तारागांव निवासी सोमारी मौर्य ने अपने गांव में ही मिनी राईस मिल खोलकर बहुत खुश हैं। गांव वाले भी अब मिनी राईस मिल में अपना धान कुटवाने आ रहे हैं। सोमारी मौर्य ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि, ग्रामीण आजीविका मिशन की सहायता से गांव में ही मिनी राईस मिल खोलकर अब आर्थिक रूप से सक्षम बनकर अपने परिवार की तकदीर बदल रही हैं।
समूह से मिला आत्मनिर्भर बनने का रास्ता
सोमारी मौर्य ने बताया कि, समूह से होने वाले लाभ के बारे समझकर छोटी-छोटी ऋण लेकर समय पर चुका दिया और अपनी आर्थिक गतिविधि को बढ़ाने में ध्यान लगाया, जिससे वह परिवार की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो पाईं। बैंक लिंकेज की सहायता से गांव में ही मिनी राईस मिल स्थापित कर ग्रामीणों को धान मिलिंग की सुविधा उपलब्ध करवा रही हैं।
राइस मिल के संचालन से हो रही आमदनी
सोमारी ने बताया कि, स्व सहायता समूहों के क्लस्टर बैठक के दौरान अपनी सोच को साझा कर इस बारे में सलाह भी ली। समीपवर्ती गांवों के ग्रामीणों की जरूरतों के अनुसार स्थानीय स्तर पर मिनी राईस मिल स्थापित करने का मार्गदर्शन मिला। सोमारी ने इस बारे में घर के सदस्यों को भी अवगत कराया तो वे भी इस संबंध में सहमत हो गएग्रामीणों को भी मिली सुविधा

सोमारी ने इस दिशा में समूह के बैंक लिंकेज का 50 हजार रुपये ऋण लेकर व्यवसाय सम्बन्धी 3 दिवसीय प्रशिक्षण भी प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अपने घर पर ही मिनी राईस मिल स्थापित कर किसानों और ग्रामीणों के धान की मिलिंग शुरू की। इससे ग्रामीणों को भी स्थानीय स्तर पर धान मिलिंग की सुविधा मिली। सोमारी अपनी इस मिनी राईस मिल का समुचित संचालन कर हर महीने 8 से 10 हजार रुपये आमदनी अर्जित कर रही हैं और अपने बच्चों की पढ़ाई के साथ पालन-पोषण पर ध्यान दे रही हैं।
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