आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा मार्च तक करिए इंतजार

रायपुर: आरक्षण विधेयक पर रार-तकरार थमता नजर नहीं आ रहा है। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कल एक कार्यक्रम में कहा कि मार्च तक इंतजार करिए। उनके इस बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवालिया अंदाज में कहा, मार्च तक क्यों इंतजार कर रही हैं। क्या राज्यपाल मुहूर्त देख रही हैं? इस समय परीक्षाओं का समय है। बच्चों को प्रवेश लेना है। व्यापमं में परीक्षा होनी है। शिक्षकों की भर्ती होनी है। सभी विभागों में भर्तियां होनी हैं और राज्यपाल आरक्षण विधेयक रोके बैठी हैं। ये संविधान में प्राप्त अधिकारों का दुरुपयोग है।
मुख्यमंत्री ने रायपुर के हेलीपैड पर भेंट मुलाकात कार्यक्रम में रवाना होने से पहले संवाददाताओं से चर्चा में कहा, सभी भर्तियां होनी हैं और ये रोके बैठे हैं। मार्च में ऐसा कौन सा मुहूर्त निकलने वाला है। दिसंबर में पास हुआ है आरक्षण विधेयक और अब तक रोके बैठी हैं। मामले में भाजपा चुप है, उसके इशारे पर ही इसे रोका जा रहा है। प्रदेश के युवाओं के साथ अन्याय है।
बस्तर में हिंसा फैलाने भाजपा कर रही षड्यंत्र
मुख्यमंत्री ने कहा, भाजपा ने आदिवासी के हित में कोई फैसला नहीं किया। ऊपर से जमीन छीनने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी, और कानून बना रहे थे जमीन हासिल करने के लिए, लेकिन हमने उसे पलटा। आदिवासियों की जमीन बड़े कार्पोरेट को देने की तैयारी थी। किसी आदिवासी को भाजपा ने अपने वक्त में पट्टा नहीं दिया। अब मुद्दा बचा नहीं है। नक्सली हमारी नीति के कारण पीछे चले गए। अब वहां हिंसा फैलाने के लिए भाजपा तरह-तरह के षडयंत्र कर रही है।
राज्यपाल ने कहा, विचार के बाद निर्णय
इधर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए मार्च की डेटलाइन तय की है। ये बात उन्होंने रायपुर में रविवार को एक कॉलेज के वार्षिकोत्सव के दौरान मीडिया से चर्चा में कही। राज्यपाल ने कहा, अलग-अलग समाज से आवेदन आ रहे हैं, उस पर विचार के बाद ही निर्णय होगा। राज्यपाल से अनुसूचित जाति वर्ग के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल ने एसटी के लिए 32 और एससी के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग की है।
2 दिसंबर से राजभवन में अटका
ज्ञात हो कि आरक्षण बिल विधानसभा में 2 दिसंबर को पास किया गया था, प्रदेश केे पांच मंत्रियों ने इसी दिन राजभवन पहुंच कर सौंपा था। तब से राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए लटका हुआ है। राज्यपाल के मार्च तक की डेटलाइन देने के बाद कांग्रेस ने आपत्ति की है। कांग्रेस ने कहा, राज्यपाल के कारण युवाओं की नौकरी लटक गई है। प्रदेश में आरक्षण रोस्टर की कोई व्यवस्था ही लागू नहीं है। अपनी भर्तियों को बिना आरक्षण रोस्टर के जारी कर चुका है।
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