आरक्षण विधेयक पर अटार्नी जनरल से राय ले सकती हैं राज्यपाल

आरक्षण विधेयक पर अटार्नी जनरल से राय ले सकती हैं राज्यपाल
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आरक्षण विधेयक को लेकर राजभवन और सरकार में ठन गई है। राज्यपाल अनुसुईया उईके विधेयक में 76 प्रतिशत आरक्षण को लेकर पहले ही कह चुकी हैं कि जब कोर्ट ने 58 प्रतिशत को असंवैधानिक करार दिया है, तब 76 प्रतिशत आरक्षण का बचाव कैसे होगा।

रायपुर। आरक्षण विधेयक को लेकर राजभवन और सरकार में ठन गई है। राज्यपाल अनुसुईया उईके विधेयक में 76 प्रतिशत आरक्षण को लेकर पहले ही कह चुकी हैं कि जब कोर्ट ने 58 प्रतिशत को असंवैधानिक करार दिया है, तब 76 प्रतिशत आरक्षण का बचाव कैसे होगा। सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब न आने पर राज्यपाल देश के अटार्नी जनरल से कानूनी राय ले सकती हैं।

राज्य सरकार ने इस मामले में जवाब देने के बजाय संविधान का हवाला देकर सवालों पर ही असहमति जता दी है। ऐसे में राजभवन इस मामले में कोई निर्णय नहीं ले पा रही हैं। अब भी उनके सामने एक ही सवाल है कि अगर कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी, तो आगे क्या होगा। पहले ही 58 प्रतिशत का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। राज्य शासन ने जो नया विधेयक पारित किया है, उसमें ओबीसी आरक्षण में वृद्धि के लिए बनाए गए क्वांटीफिएबल डाटा की रिपोर्ट को विधानसभा में भी प्रस्तुत नहीं किया।

वहीं दूसरी ओर एससी और एसटी वर्ग की आबादी के अनुरूपर आरक्षण का दावा भी किया जा रहा है। अब राज्यपाल इस सभी वर्ग के आरक्षण का आधार जानना चाहती हैं, तो सरकार उनको इसका आधार न होने का तर्क दे रही है। इन सवालों को लेकर अब देश के एटार्नी जनरल से ऐसे मामलों में कानूनी और संविधान प्रावधानों पर राय ले सकती हैं। हालांकि राष्ट्रपति के माध्यम से इस मामले का समाधान करने का प्रयास हो सकता है।

एसटी समाज ने की अलग से विधेयक की मांग

प्रदेश के आदिवासी समाज ने समाज को आरक्षण का लाभ दिलाने सरकार से उनके लिए अलग से विधेयक लाने की मांग उठाई है। समाज के अध्यक्ष बीएस रावटे ने कहा, शासन को चाहिए कि आदिवासी वर्ग को लाभ मिले, इसे लेकर अलग से विधेयक लाया जाए। आरक्षण रोस्टर शून्य होने के कारण पिछले तीन माह से भर्ती और छात्रों का प्रवेश रुका हुआ है। समाज ने इसे लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। राज्यपाल ने आदिवासी समाज के लिए अध्यादेश या विधेयक लाने की वकालत पूर्व में मुख्यमंत्री से कर चुकी हैं।

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