राज्यपाल ने तीन विधेयकों पर किए हस्ताक्षर : अब इतने साल का होगा स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल

रायपुर। राज्यपाल अनुसुइया उइके ने छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022 पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह विधेयक छत्तीसगढ़ विधानसभा की ओर से 25 जुलाई को पारित किया गया था।इस संशोधन विधेयक से स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय अधिनियम 2004 (क्र. 25 सन् 2004) की धारा 13 की उपधारा(2) में परिवर्तन किया गया है। इस संशोधन के बाद स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति की पदावधि को 4 साल से बढ़ाकर 5 साल तक या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, किया गया है। साथ ही उसके दो से अधिक पदावधि की नियुक्ति की पात्रता के निर्बंधन को भी समाप्त किया गया है। इ
सके अलावा इस संशोधन विधेयक से मूल अधिनियम की धारा 22 की उप-धारा(1) के खण्ड (आठ) और (नौ) को, खण्ड (आठ),(नौ) और खण्ड(दस) से प्रतिस्थापित किया है। इस संशोधन में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड(सेल)/ भिलाई इस्पात संयंत्र(बीएसपी), भिलाई के पदेन प्रभारी निदेशक/ सीईओ और कार्यपालक निदेशक(कार्मिक और प्रशासन) को विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद के सदस्य के रूप में शामिल करने का प्रावधान है।
राज्यपाल उइके ने छत्तीसगढ़ विद्युत शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2022 पर भी हस्ताक्षर कर दिए है। संशोधन में विभिन्न उपभोक्ता श्रेणियों के लिए वर्तमान में प्रभावशील ऊर्जा प्रभार के शुल्क की दरों में प्रतिशत में वृद्धि की गई है। विधेयक के भाग क (धारा 3(1) (अ)) में उल्लेखित सरल क्र. 1 व 2 में क्रमशः घरेलू उपभोक्ताओं के लिए वर्तमान ऊर्जा प्रभारों के प्रतिशत में प्रभावशील शुल्क की दर 8 प्रतिशत में 3 प्रतिशत वृद्धि के बाद 11 प्रतिशत तथा गैर घरेलू उपभोक्ता के लिए वर्तमान प्रभावशील दर 12 प्रतिशत में 5 प्रतिशत वृद्धि के बाद 17 प्रतिशत शुल्क निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार भाग क (धारा 3(1) (अ) ) में सरल क्र.3 से 13 के विभिन्न उपभोक्ता श्रेणी तथा औद्योगिक इकाईयों, लघु व मध्यम उद्योगों आदि के लिए शुल्क वृद्धि की गई है। सरल क्र.14 व 15 के लिए अनुसूची की उच्चतम दर निर्धारित की गई है। इसी प्रकार भाग ख के (धारा 3 (1) (ब) में सरल क्र. 16 के उपभोक्ता यानि राज्य के बाहर खुली पहुंच के माध्यम सेे अभिप्राप्त विद्युत उपभोग के लिए शुल्क की दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। विधेयक के भाग-ग (धारा 3 (1) (स) ) के सरल क्र. 17, 19, 20, 21, 22 और 24 में उल्लेखित उत्पादन कम्पनियों, राज्य के निजी व सार्वजनिक कम्पनियां आदि इकाईयों के लिए ऊर्जा प्रभारों के प्रतिशत में शुल्क की दरे बढ़ाई गई है तथा सरल क्र. 18 में उल्लेखित उत्पादन इकाईयों के लिए शुल्क यथावत रखा गया है।
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