leopard : छिंदारी बांध से वन्यप्रेमियों के लिए मिली बड़ी खुशखबरी... शावक के साथ विचरते मादा तेंदुए को फिल्माया गया...देखिए Exclusive Video…

leopard : छिंदारी बांध से वन्यप्रेमियों के लिए मिली बड़ी खुशखबरी... शावक के साथ विचरते मादा तेंदुए को फिल्माया गया...देखिए Exclusive Video…
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यहां पहुंचे पर्यटकों ने इस दृश्य को बाकायदा अपने कैमरे पर कैद भी कर लिया है। शावक को खेलते देखते हुए मादा झाड़ियों की ओट में बैठी थी। तभी लोगों की आहट पाकर जबड़ों के बीच भींचकर जंगल की ओर भागते मादा तेंदुए को बायकायदा कैमरे पर कैद किया गया है। पढ़िए पूरी खबर...

सज्जाक खान-छुईखदान। छत्तीसगढ़ के नवनिर्मित खैरागढ़ जिले से वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। यहां तेंदुआ, हिरण, भालू दिखने की खबरों से क्षेत्र में हर्ष का माहौल बना ही था कि तभी एक और बड़ी खुशखबरी आ गई है। क्षेत्र की जीवन दायिनी रानी रश्मिदेवी जलाशय के नथेला उलट के पास अपने शावक सहित मादा तेंदुआ को विचरते देखा गया है।

यहां पहुंचे पर्यटकों ने इस दृश्य को बाकायदा अपने कैमरे पर कैद भी कर लिया है। शावक को खेलते देखते हुए मादा झाड़ियों की ओट में बैठी थी। तभी लोगों की आहट पाकर जबड़ों के बीच भींचकर जंगल की ओर भागते मादा तेंदुए को बायकायदा कैमरे पर कैद किया गया है। इस दृश्य से जहां प्रकृति और वन्य पशु-पक्षी प्रेमियों में उत्साह का वातावरण बना है वहीं नजदीकी ग्रामीणों में घबराहट और डर की स्थिति बनी हुई है। लोगों नें वन्य पशुओं की सुरक्षा सहित ग्रामीणों को भी सुरक्षा देने की मांग के तहत वन विभाग से उक्त मादा तेंदुए उसके नर जोड़े और शावक को निगरानी में रखते हुए अन्यत्र पहुंचाने की मांग रखी है, ताकि मानव संसाधन सहित वन्य संसाधनों की भी सुरक्षा की जा सके।

पर्यटन स्थल बनाने की उठने लगी मांग

उल्लेखनीय है कि, क्षेत्र के पूर्व विधायक स्व. राजा देवव्रत सिंह अपने कार्यकाल में ही इस क्षेत्र को अभयारण्य का दर्जा दिलाने का सपना देखा था और अब जबकि मादा तेंदुआ शावक के साथ दिखा है तब यह इस तर्क को और बल मिला है कि, वन्यजीवों से समृद्ध यह छुईखदान क्षेत्र का जंगल आज भी अलग से अभयारण्य बनाए जाने के बिलकुल योग्य और भरपूर क्षमता रखता है।

खुशी के साथ सुरक्षा की चिंता भी

उक्त मामले में छुईखदान से बकरकट्टा मार्ग अपनें आप में मील का पत्थर साबित हो सकता है, बताया जा रहा है कि उक्त मादा तेंदुआ और उसके शावक को विचरण करते चार से पांच दिन हो गए हैं, परन्तु क्षेत्रीय ग्रामीणों नें अभी तक उस दंपत्ति को कोई भी क्षति नहीं पहुंचाई है। अब मामला उन लोगों के उपर है जो इन्हे सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि ग्रामीण अंचल के इतने करीब आ जाने के बाद मादा तेंदुआ और उसके शावक को देखने के लिए दिन के उजाले के साथ ही रात के अंधेरे में भी लोगों का आना जाना लगा रह सकता है। ऐसे में वन विभाग की जवाबदारी और भी बढ़ जाती है, कि इस क्षेत्र के वन्य संपदा को पूरी सुरक्षा और संरक्षण प्रदान किया जा सके।

पर्यटकों ने देखा अद्भुत नजारा और कैमरे में कर लिया कैद

श्यामपुर निवासी पिन्टू सेन ने बताया कि वे 15 तारीख को अपने रिश्तेदारों के साथ डेम घूमने गए थे। नथेला उलट के पास घूमकर जब वे लौटने लगे तो एक कोने से आवाज आई। आवाज आने वाली दिशा में जाकर देखने तेंदुए का शावक खेलता दिखा। फिर कुछ देर बाद उसकी मां भी आ गई और शावक को जबड़े से भींचकर झुरमुट में ले गई। इस दृश्य को उन्होंने अपने कैमरे में कैद भी कर लिया। इससे ऐसा लगता है कि आस-पास ही नर तेंदुआ भी हो सकता है।

इसी क्षेत्र में देखा गया था बाघ भी

उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले इसी वन्य क्षेत्र मेँ बाघ दिखने की भी खबर फैली थी। जिसे लेकर समाचार पत्रों के द्वारा क्षेत्र की वन्य संपदा को लेकर सुरक्षा और अभयारण्य की योग्यता पर विस्तार से प्रकाशित किया गया था। अब आगे देखना यह है कि, इस मादा तेंदुए और उसके शावक को कितनी सुरक्षा मिल पाती है।

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