खबर...जिसे जानना चाहती है पूरी दुनिया, जांच में साबित, वैक्सीन लगवाने के बाद बन रही है एंटीबॉडी

रायपुर. हरिभूमि कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रही दुनिया के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी लेकर आया है। खुशखबरी यह है कि अगर सभी को वैक्सीन लग जाती है तो दुनिया को इस महामारी से निजात मिल सकती है...यह हम नहीं, कोरोना वैक्सीन लगवा चुके लोगों की रिपोर्ट बता रही है। रिपोर्ट बताती है कि वैक्सीन का दूसरा डोज लेने के 14 दिन बाद लोगों में एंटीबॉडी बन रही है। हरिभूमि ने दूसरा डोज ले चुके लोगों का एंटीबॉडी टेस्ट कराया। उसके नतीजे खुशी देने वाले हैं। वैक्सीन लगवाने के बाद एंटीबॉडी बनी है।
इसके साथ ही जो लोग संक्रमित हुए हैं उनकी जांच में भी एंटीबॉडी पाई गई। संक्रमित लोग भी इस महामारी से कुछ बचे रह सकते हैं। हालांकि हरिभूमि सबसे आग्रह करता है कि ऐहतियात बरतते रहें क्योंकि कोरोना के नए वेरिएंट भी आ रहे हैं। बता दें कि वैक्सीन लगने के बाद एंटीबॉडी टेस्ट के आधार पर ऐसी रिपोर्ट अब तक देश में प्रकाशित नहीं हुई है। हरिभूमि पहली बार लोगों को एंटीबॉडी से जुड़ी खुशखबर दे रहा है। उल्लेखनीय है कि वैक्सीन का पहला डोज 16 जनवरी को भारत में लगाया गया था। सफाई कर्मचारी, चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मचारियों को यह डोज दिया गया। उसके 21 दिन बाद, 13 फरवरी से दूसरा डोज लगाया गया। हरिभूमि ने चार लोगों को एंटीबॉडी टेस्ट के लिए चुना। इनमें से तीन लोग ऐसे थे जिन्होंने वैक्सीन के दोनों डोज लगवा लिए थे। एक व्यक्ति ऐसा जो कोरोना से संक्रमित हुआ था, और कोरोना को हराकर स्वस्थ्य हुआ। उस संक्रमित की भी जांच कराई गई। चारों रिपोर्ट में एंटीबॉडी पाई गई। हालांकि दो में हाई लेबल की एंटीबॉडी मिली, दो रिपोर्ट में बनने की प्रक्रिया में पाई गईं।
रिपोर्ट- 01
छत्तीसगढ़ के ख्यात कार्डियोलाजिस्ट डा. स्मित श्रीवास्तव ने कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लगवाए हैं। उनकी रिपोर्ट एसआरएल डायग्नोस्टिक की है। उनकी एंटीबॉडी टेस्ट रिपोर्ट बताती है कि वैक्सीन लगने के बाद उनके अंदर हाई एंटीबॉडी बनी है। एंडीक्रानाजॉजी तरीके से उनकी जांच में 208.400 पाइंट आए हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि यह हाई लेबल की एंटीबॉडी है। भविष्य में इनके कोरोना संक्रमित होने की संभावना नहीं के बराबर है। औसत तौर पर एक से अधिक पाइंट होने पर एंटीबॉडी डेवलप मान ली जाती है।
रिपोर्ट- 02
दूसरी रिपोर्ट में एंटीबॉडी की मौजूदगी पाई गई है। लेकिन न्यूनतम पैरामीटर से कम है। एक्सपर्ट के मुताबिक एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया चल रही है। कुछ दिन बाद यह बढ़ जाएगी। इनकी रिपोर्ट में 0.091 एंटीबॉडी निकली। मतलब एंडीबॉडी मौजूद है। एक्सपर्ट बताते हैं कि हर व्यक्ति के अंदर एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया अलग अलग होती है। कुछ के अंदर तीन से चार हफ्तों में यह विकसित होती है तो कुछ के अंदर छह हफ्ते में। जिनका टेस्ट कराया गया है उनके आग्रह पर हरिभूमि उनके नाम प्रकाशित नहीं कर रहा।
रिपोर्ट- 03
तीसरी रिपोर्ट में भी एंटीबॉडी की मौजूदगी पाई गई। इनका टेस्ट भी एसआरएल डायग्नोस्टिक से कराया गया। नतीजा आया 0.096। वैक्सीन लगाए जाने के बाद एंटीबॉडी डेवलप हो रही है। एक्सपर्ट की राय है कि जब तक पूरी तरह एंटीबॉडी डेपलप न हो, उन्हें ऐहतियात बरतनी चाहिए। ज्यादातर को हाल ही में दूसरा डोज लिए 14 दिन पूरे हुए हैं। संभव है कि एक दो हफ्ते बाद उनके अंदर हाई लेवल की एंटीबॉडी डेवलप हो जाएगी।
रिपोर्ट- 04
रिसर्च के तौर पर हरिभूमि ने यह टेस्ट ऐसे व्यक्ति का कराया जिसे कोरोना संक्रमण हुआ। यह कोविड एंटीबॉडी आईजीजी सीएमआईए तकनीकी से टेस्ट किया गया। बिना वैक्सीन लगाए संक्रमित व्यक्ति में चार हफ्ते बाद एंटीबॉडी 2.23 पाई गई। एक्सपर्ट के मुताबिक यह हाई लेबल की एंटीबॉडी है। इसका आशय है कि जो लोग कोरोना संक्रमित हुए उनमें से ज्यादातर के अंदर एंटीबॉडी डेवलप हुई है। यह न खुद संक्रमित होंगे न दूसरों को कर सकते हैं। हालांकि जब तक कोरोना पूरी तरह नियंत्रित नहीं होता, ऐहतियात बरतने की जरूरत है।
एक्सपर्ट व्यू
रिपोर्ट में अच्छी क्वालिटी की एंटीबॉडी
मैंने एंटीबॉडी टेस्ट कराया था। जांच रिपोर्ट बता रही है कि वैक्सीन लगने क बाद मेरे अंदर हाई एंटीबॉडी बनी है। लेकिन यह बताना जरूरी है कि यह सुरक्षा कवच है। अभी हमें कोरोना से बचने के लिए पूरी तरह सतर्कता बरतने की जरूरत है। एंटीबॉडी बनने के बाद भी मैं खुद काेरोना से बचाव के सारे उपायों पर अमल करूंगा।
-डा. स्मित श्रीवास्तव, कार्डियोलाजी विभाग प्रमुख, एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट
एंटीबॉडी क्या है...ऐसे समझें
एंटीबॉडी वो तत्व है जिसकी मौजूदगी से पता चलता है कि हमारा शरीर संबधित बीमारी से लड़ने में सक्षम है या नहीं। मान लीजिए कि कोरोना वायरस के संदर्भ में हमने एंटीबॉडी टेस्ट कराया। अगर रिपोर्ट पाजीटिव आती है तो माना जाएगा कि हमारा शरीर कोरोना वायरस के संपर्क में आते ही मजबूत प्रतिक्रिया देगा और उसके वायरस को पनपने से पहले ही नष्ट कर देगा। हमारे इम्यून सिस्टम के सामने वायरस नहीं टिक सकेगा और हम बीमारी से बचें रहेंगे भले वायरस के संपर्क में आ जाएं।
अच्छा संकेत, फिर भी मास्क पहनें
एंटीबॉडी डेवलप होना अच्छा संकेत है। इससे साबित होता है कि वैक्सीन अपना काम कर रही है। इससे लोग कोरोना से बच सकेंगे। लेकिन मैं सभी लोगों से कहूंगा कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी एहतियात बरतें। जब तक यह सुनिश्चत न हो जाए कि यह वायरस देश दुनिया से पूरी तरह खत्म हो चुका है।
-डा. नितिन नागरकर, डायरेक्टर एम्स
सावधानी जरूरी
वैक्सीन के बाद अगर टेस्ट में एंटीबॉडी बनी है तो यह अच्छा संकेत हैं। पूरी दुनिया इसी का इंतजार कर रही है। इससे प्रारंभिक तौर पर वायरस से बचाव होगा। लेकिन इसके बाद भी ऐहतियात बरतना न भूलें। अभी भी कोरोना के नए नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं। बेहतर है कि मास्क का उपयोग करते रहें।
-डा. आरके पंडा, विभागाध्यक्ष टीवी एवं चेस्ट आंबेडकर अस्पताल
तीन से छह महीने तक बचाव
वैक्सीन से बनी एंटीबॉडी से तीन से छह महीने तक बचाव संभव है। हालांकि इस पर अभी रिसर्च नहीं हुआ है। दूसरी बात यह है कि कोरोना के नए वेरिएंट आ रहे हैं। उस पर यह असरकारक होगी या नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में सावधानी बनाए रखें।
-डा. ओपी सुंदरानी, क्रिटिकल केयर यूनिट आंबेडकर अस्पताल
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