Health Department : मरीजों को एक से दूसरे अस्पताल रेफर करने में चूक, इसलिए हो रही ज्यादा मौतें

रायपुर। गंभीर प्रकरणों में मरीजों को बड़े चिकित्सा संस्थानों (medical institutions)में रेफर करने में जिला अस्पताल सहित स्वास्थ्य केंद्रों से चूक हो रही है। इसकी वजह से मौत के मामले बढ़ने लगे हैं। रेफरल मामलों में मृत्यु की संख्या को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग (Health Department)ने रेफरल पॉलिसी बनाई है। इसके तहत रेफर करने वाले संस्थानों को सही समय, सही स्थान, सही स्थिति, सही प्रक्रिया, सही माध्यम की प्रक्रिया अपनानी होगी। संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें की ओर संचालक महामारी नियंत्रण की ओर से इस संबंध में तमाम जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला अस्पतालों के सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षकों पत्र भेजकर गाइडलाइन के बारे में जानकारी दी गई है। उन्हें निर्देशित किया गया है कि किसी भी मरीज को हायर इंस्टिट्यूट में रेफर करने के दौरान इन बिंदुओं का पालन किया जाए।
सूत्रों के मुताबिक अक्सर यह देखने में आता है कि जिला अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केंद्रों में गंभीर स्थिति में आने वाले मरीजों को देखने के बाद तत्काल बड़े अस्पतालों की ओर रेफर कर दिया जाता है। कई बार इस प्रक्रिया में देर हो जाती है और सही समय पर उपचार नहीं मिलने की वजह से मरीज की जान चली जाती है। इस तरह की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य स्तर पर बनी डेथ ऑडिट कमेटी की समीक्षा के बाद मौत को कम करने लिए जारी किए गए गाइडलाइन में पांच सही बिंदुओं का पालन करने का निर्देश जारी किया गया है। इसके साथ प्रत्येक अस्पताल में डेथ ऑडिट कमेटी का गठन करने ऐसे प्रकरणों की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं।
1. सही समय - दवाओं का सही असर नहीं हो रहा हो अथवा 72 घंटे में हालत में सुधार नहीं हो रहा हो। मरोज को विशेष जांच की आवश्यकता हो। किसी सर्जरी की सुविधा ना हो और मरीज को तत्काल इसकी जरूरत हो। परिजन स्वयं दूसरे अस्पताल जाना चाहते हो और चिकित्सक द्वारा स्थानातरण की सहमति देने पर रेफर किया जाए।
2. सही स्थान के लिए- मरीज को उस चिकित्सा संस्थान में रेफर किया जाना चाहिए, जहां आपेक्षित सुविधा उपलब्ध हो। इसके लिए पहले संबधित जानकारी ली जाए। सामान्यतः प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से जिला अस्पताल एवं जिला अस्पताल से चिकित्सा महाविद्यालय के लिए मरीज को रेफर करने का सिस्टम है।
3. सही स्थिति में - मरीज को आगे इलाज के लिए दूसरे अस्पताल भेजने के दौरान यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि रास्ते में कोई जटिलता न हो। रोगी को स्थिर करने के बाद ही यह प्रक्रिया पूरी की जाए। डिहाइड्रेशन, बुखार, एक्सटर्नल ब्लीडिंग आदि हो तो प्राथमिक उपचार के बाद ही मरीजों को दूसरे अस्पताल स्थानातरित किया जाए।
4. सही माध्यम से भेजना - मरीज को इलाज के लिए दूसरे अस्पताल भिजवाने के लिए एंबुलेंस अथवा सक्षम वाहन का उपयोग किया जाएगा। मरीज को अगर ऑक्सीजन, वेंटिलेटर की आवश्यकता है तो सुविधा युक्त एंबुलेस में में भेजा जाए।
5. सही प्रक्रिया का पालन - मरीज को दूसरे अस्पताल रिफर करने के दौरान उससे संबंधित जानकारी भी अस्पताल को प्रेषित की जाए। जैसे भर्ती होने के दौरान स्थिति, दिया गया उपचार, की गई जांच, रेफर के दौरान मरीज की स्थिति का उल्लेख किया जाए।
इस पर भी गंभीरता बरतने की हिदायत
इसके अलावा अस्पतालों को निर्देशित किया गया है जहां तक हो मरीज के दूसरे अस्पताल तक पहुंचने तक चिकित्सकीय स्टॉफ साथ रहे। उच्च अस्पताल को पूर्व सूचना दी जाए ताकि आवश्यक तैयारी की जा सके। संभव होने पर संबंधित चिकित्सक को भी दूरभाष पर मरीज से संबंधित आवश्यक जानकारी दी जाए।
अस्पताल स्तर पर हो डेथ ऑडिट
स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस तरह होने वाले मृत्यु के मामले में कमियों को जानकर उसे दूर करने के लिए अस्पताल स्तर पर डेथ ऑडिट कमेटी बनाने के निर्देश दिए गए हैं। रेफरल मामले को पूरी तरह स्पष्ट रखा जाए, ताकि उच्च संस्थान के स्टाफ एवं रोगी के परिजनों के बीच किसी तरह की भ्रम की स्थिति निर्मित ना हो।
सामने आ चुके प्रकरण
■ जून में हमर अस्पताल गुढ़ियारी में प्रसूता को दूसरे अस्पताल भेजने में हो गई देर से चली गई जान।
■ दो दिन पहले अंबिकापुर जिला अस्पताल से रोड एक्सीडेंट मामले में विलंब से रेप्फर, स्थिति गंभीर।
■ बलौदाबाजार से ब्रेन हेमरेज के मामले में डीके अस्पताल भेजा गया मरीज, चिकित्सकीय स्टॉफ नहीं।
सही समय और सही तरीका
महामारी नियंत्रण के संचालक डा. सुभाष मिश्रा ने कहा कि, सही समय और सही तरीके से रेफर कर कुछ संख्या में मृत्यु को रोका जा सकता है। इसी आधार पर समीक्षा के बाद गाइडलाइन जारी कर इसका पालन करने निर्देशित किया गया है।
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