Health News : हृदय के भीतर 140 ग्राम का ट्यूमर... एक लाख में एक को होती है बीमारी, लकवा का था खतरा

- हार्ट सर्जरी विभाग के डाक्टरों ने किया ऑपरेशन, अस्पताल से छुट्टी भी
रायपुर। पिछले एक साल से खांसी की समस्या से पीड़ित अधेड़ के हृदय में 140 ग्राम का ट्यूमर था। एक लाख लोगों में केवल एक को होने वाली इस बीमारी की वजह से लकवा, गैंग्रीन अथवा जान जाने का भी खतरा था। शासकीय अस्पताल (government hospital)के हार्ट सर्जरी विभाग (heart surgery department)में मरीज की सर्जरी की गई है और स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। गुंडरदेही में रहने वाला पचास साल का मरीज कुछ दिन पहले आंबेडकर अस्पताल (Ambedkar Hospital) के एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट के हार्ट सर्जरी विभाग की ओपीडी (OPD)में सांस फूलने और खांसी की शिकायत लेकर आया था। मरीज की जांच के दौरान पता चला कि उसके हृदय के अंदर एक ट्यूमर है।
ट्यूमर के आकार और उसकी गंभीरता को देखते हुए उसे तुरंत सर्जरी कराने की सलाह दी गई। मरीज को इस बात का विश्वास नहीं हो रहा था, हृदय के भीतर ट्युमर हो सकता है। सीटीवीएस के विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू ने इस समस्या और उसकी वजह से होने वाले दुष्परिणाम के बारे में मरीज को बताया । तत्काल सर्जरी नहीं किए जाने पर आने वाले दिनों लकवा गैंग्रीन अथवा जान जाने खतरे के बारे में भी उसे और परिवार वालों को जानकारी दी गई। सहमति लेने के बाद सर्जरी की लंबी प्रक्रिया पूरी कर ट्यूमर को बाहर निकाला गया जो 140 ग्राम वजनी था। कुछ दिनों तक डाक्टरों की निगरानी में रखने के बाद स्वस्थ होने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
चार चैंबर वाला हृदय
कार्डियक सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू ने बताया कि मनुष्य के हृदय में चार चैंबर होते हैं। दायांबायां अलिंद और दायां- बायां निलय संबंधित मरीज के बाएं अलिंद के भीतर ट्यूमर पूरा फैल गया था और लगातार दूसरे चैंबरों को अपनी चपेट में ले रहा था। इसका एकमात्र विकल्प ऑपरेशन था, जिसे सफलता पूर्वक पूरा किया गया। मरीज की सर्जरी की प्रक्रिया स्वास्थ्य सहायता योजना के जरिए निःशुल्क की गई।
हार्ट लंग मशीन से धड़कन
ट्यूमर को बाहर निकालने के लिए हृदय की धड़कन को बंद करना आवश्यक था। इसके लिए हार्ट लंग मशीन की मदद लेकर हृदय की गतिविधि का संचालन किया गया। सर्जरी के दौरान दोबारा ट्यूमर होने की आशंका को खत्म करने के लिए हृदय के दो चैंबर के बीच के स्थान पर विशेष प्रकार के कपड़े जैसे डबल वेल्वोर डेक्रॉन के टुकड़े की कृत्रिम दीवार बनाई गई। सर्जरी के दौरान साढ़े तीन घंटे का वक्त और तीन यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ी।
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