धरोहरों पर भारी लापरवाही : ऐतिहासिक मूर्तियों के लिए बना संग्रहालय जर्जर, कमरे में इधर-उधर बिखरी हैं ऐतिहासिक मूर्तियां

पंकज सिंह भदौरिया-दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की सबसे पौराणिक नगरी बारसूर में इन दिनों ऐतिहासिक धरोहर उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। पुरातत्व विभाग ने बारसूर नगर में छिंदक नागवंशी शासनकाल की 10वीं शताब्दी से लेकर 15 वीं शताब्दी तक कि ऐतिहासिक मूर्तियों के लिए बनाए गए संग्रहालय की हालत बेहद जर्जर और खस्ताहाल हो गयी है।

बता दें कि बेशकीमती प्राचीन मूर्तियों को एक कमरे की जमीन पर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इधर-उधर रखवा दिया है। संग्रहालय के चारों तरफ की दिवारें भी टूट गई है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से लगाए गए सभी सीसीटीवी कैमरे सालों से संग्रहालय में बंद पड़े हैं। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की इन्हीं लापरवाही के चलते आज बारसूर में रखी ऐतिहासिक महत्व की प्राचीनतम इतिहास विलुप्त होता जा रहा है।
संग्रहालय में हैं जैन और हिन्दू धर्म से जुड़ी कई महत्वपूर्ण मूर्तियां
बता दें कि इस संग्रहालय में जैन और हिन्दू धर्म से जुड़ी कई महत्वपूर्ण मूर्तियां मौजूद हैं। आज भी संग्रहालय में विष्णु, उमा, महेश्वर, जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ, महिषासुर,गणेश-कार्तिकेय, चामुंडा जैसी प्राचीन महत्वपूर्ण मूर्तियां मौजूद हैं लेकिन पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते आज बारसूर नगरी में बना यह संग्रहालय पर्यटकों की नजरों से बहुत दूर उपेक्षा का दंश झेलता हुआ ओझल होता नजर आ रहा है।

दंतेवाड़ा के कलेक्टर विनीत नंदनवार से बातचीत
हरिभूमि डॉट कॉम के संवाददाता पंकज भदौरिया ने दंतेवाड़ा के कलेक्टर विनीत नंदनवार से बातचीत की। इस दौरान कलेक्टर विनीत नंदनवार ने बताया कि जो क्षेत्र पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत आता है उस क्षेत्र में किसी भी तरह का कार्य पुरातत्व विभाग ही करा सकता है। हमने पत्र के माध्यम से भी आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को बारसूर की स्थिति के बारे में बताया है। जिला प्रशासन इन पर्यटन स्थलों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।

महत्वपूर्ण धरोहर को बचाने के लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाना चाहिए
विभागीय कर्मचारी मोहांत नायक से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि पौराणिक नगरी बारसूर के महत्वपूर्ण धरोहर को बचाने के लिए प्रशासन और आर्कोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को मिलकर एक मुहीम चलाना चाहिए और प्राचीन मूर्तियों को संजोने के लिए एक म्यूजिम बनाकर पर्यटकों के लिए रखना चाहिए। बारसूर के चंद्रादित्य मंदिर, बड़े गणेश मंदिर, मामा-भांजा मंदिर, बत्तीसा मंदिर ऐसे महत्वपूर्ण स्थानों को संस्कृति और पुरातत्व विभाग को प्रशासन के साथ मिलकर संरक्षित करने के लिए ठोस पहल उठाने की जरूरत है।

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