छत्तीसगढ़ की खस्ताहाल सड़कों से हाईकोर्ट भी हलाकान, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा- पांच सालों से निर्माण अधूरा

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की खस्ताहाल सड़कों को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी राज्य शासन की ओर से शुक्रवार को स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। शासन की ओर से और समय मांगने पर कोर्ट ने 5 दिन की मोहलत दी है। अब अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी। हाईकोर्ट ने बिलासपुर की सड़कों को लेकर दाखिल जनहित याचिका का स्वत: संज्ञान में लिया है। इसके बाद प्रदेश भर की सड़कों पर रिपोर्ट मांगी गई है। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस गौतम भादुड़ी की बेंच में हो रही है।
दरअसल, बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र की बदहाल सड़कों को लेकर अधिवक्ता हिमांक सलूजा ने जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में गठित न्याय मित्रों ने 27 सितंबर को हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। बताया गया कि शहर के साथ ही राज्य की सड़कों की हालत खराब है। पिछले पांच साल से सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है, जो अब तक अधूरा है। इसके चलते हर शहर व पहुंच मार्गों की स्थिति बेकार है। इस मामले में न्याय मित्रों के प्रतिवेदन पर 29 सितंबर को NHAI के साथ ही राज्य शासन को स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। प्रकरण में हाईकोर्ट ने राजीव श्रीवास्तव, प्रतीक शर्मा और राघवेंद्र प्रधान को न्याय मित्र नियुक्त किया है। इस मामले में कोर्ट ने नेशनल हाईवे और छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को नोटिस जारी किया था। न्याय मित्रों ने प्रदेश की खराब सड़कों की रिपोर्ट भी हाईकोर्ट को सौंपी है, जिसे रिकॉर्ड में लिया गया है। कोर्ट ने NHAI के साथ ही राज्य सरकार को फोटो सहित स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है। वहीं, हिमांक सलूजा की याचिका और स्वत: संज्ञान दोनों मामले एक साथ चलेंगे। कोर्ट ने राज्य शासन, नगर निगम व लोक निर्माण विभाग को जर्जर सड़कों को तत्काल दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे। बिलासपुर नगर निगम सीमा क्षेत्र की बदहाल सड़कों को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने शहर की खराब हालत पर चिंता जाहिर करते हुए सचिव PWD व नगरीय प्रशासन को तलब किया था। शहर की सड़कों का हाल जानने के लिए हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं की तीन सदस्यीय समिति बनाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा था। टीम ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत कर बताया है कि पूरे प्रदेश में सड़कों की हालत खराब है। हाईकोर्ट को प्रदेश की सड़कों की सूची भी दी गई थी। जिसकी हालत दयनीय है और इसके चलते लोग परेशान हैं।
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