High Court : शिक्षकों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, पोस्टिंग ऑर्डर निरस्ती पर दिया स्टे, सैकड़ों शिक्षकों ने लगाई थीं याचिकाएं

High Court : शिक्षकों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, पोस्टिंग ऑर्डर निरस्ती पर दिया स्टे, सैकड़ों शिक्षकों ने लगाई थीं याचिकाएं
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सैकड़ों की संख्या में शिक्षक अब हाईकोर्ट (High Court )के इस आदेश के बाद जो रिलीव नही हुए हैं वो अपने संशोधित पोस्टिंग वाली जगह पर बने रहेंगे। हाईकोर्ट ने याचिका पर शासन को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। पढ़िए पूरी खबर...

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में असिस्टेंट टीचर (Assistant Teacher)के प्रमोशन (promotion)के बाद संशोधित पोस्टिंग (posting)को सरकार ने निरस्त (canceled)कर दिया है। इस पर हाईकोर्ट (High Court)ने शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार (state government)के आदेश पर स्थगन दे दिया है। उल्लेखनीय है कि, प्रमोशन के बाद संशोधित पदस्थापना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आने के बाद शासन ने शिक्षकों के पदस्थापना आदेश को निरस्त कर दिया था, जिसके खिलाफ प्रभावित सैकड़ों शिक्षकों ने याचिका दायर की है।

सैकड़ों की संख्या में शिक्षक अब हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद जो रिलीव नही हुए हैं वो अपने संशोधित पोस्टिंग वाली जगह पर बने रहेंगे। हाईकोर्ट ने याचिका पर शासन को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। इस तरह की 500 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनकी सुनवाई अब एक साथ 13 सितंबर को होगी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता शिक्षकों के वकीलों ने बताया कि राज्य सरकार को ट्रांसफर करने का अधिकार है पर यह ट्रांसफर नहीं है, यह प्रमोशन के बाद नई पोस्टिंग है।

संयुक्त संचालक को पोस्टिंग में संशोधन का अधिकार नही : सरकार

साथ ही राज्य शासन का कहना है की पोस्टिंग में संशोधन संयुक्त संचालक नहीं कर सकते इसलिए इसे नियम विपरीत बता कर संशोधन आदेश निरस्त किया गया है। जबकि विधानसभा में विधायक रजनीश सिंह के उठाए गए सवाल के जवाब में स्वयं स्कूल शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे ने लिखित दिया था जिसमें कहा था कि नियुक्तिकर्ता अधिकारी यानी कि संयुक्त संचालक ट्रांसफर व पोस्टिंग कर सकते हैं।

पोस्टिंग निरस्त होने के बाद कई स्कूल हो गए खाली

याचिकाकर्ताओं की तरफ से यह भी तर्क दिया गया कि जिन स्कूलों में पूर्व में पदस्थापना की गई थी उनमें पहले से ही अतिशेष शिक्षक हैं। जबकि जिन स्कूलों में पोस्टिंग में संशोधन कर पदस्थापना दी गई है वहां शिक्षकों की कमी है। यदि यह पोस्टिंग आदेश निरस्त किया जाता है तो स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या बनी रहेगी। सभी तथ्यों को सुनने के बाद जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए कहा कि जो भी पिटीशनर अभी रिलीव नहीं हुए हैं उन्हें सरकार रिलीव न करें। लेकिन, जो रिलीव होकर अपनी पुरानी जगह ( संशोधन से पहले वाली) में जा चुके है वो वही रहेंगे। केस की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी। इस दौरान शासन को जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

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