हाईकोर्ट का डीजीपी को नोटिस : कोर्ट से दोषमुक्त एएसआई को नहीं किया गया सेवा में बहाल, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

बिलासपुर। अदालत से दोषमुक्त करार दिए जाने के बाद भी एक सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) को सेवा में बहाल नहीं किया गया। इस पर एएसआई ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। गुरुवार को जस्टिस पी. सेम कोशी ने एएसआई के याचिका को स्वीकार करते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक जुनेजा से जवाब मांगा है।
ये है पूरा मामला
दरअसल अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने बताया कि बीजापुर निवासी आनंद जाटव सुकमा जिला में एएसआई के पद पर पदस्थ थे। पदस्थापना के दौरान आनंद जाटव के विरूद्ध सुकमा थाना में अपराध पंजीबद्ध होने पर क्रिमिनल ट्रायल के दौरान पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) बस्तर रेंज ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था। मामले में चले क्रिमिनल ट्रायल के बाद 13 अप्रैल 2021 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सुकमा ने एएसआई को पूर्ण रूप से दोषमुक्त कर दिया था। इसके बाद भी डीजीपी ने आनंद जाटव को सेवा में बहाल ना कर उसकी अपील को निरस्त कर दिया था। इस पर आवेदक ने पुनः डीजीपी के समक्ष पुर्नविलोकन अभ्यावेदन पेश किया। मामले में हाईकोर्ट ने 4 जनवरी को डीजीपी को 60 दिवस के भीतर याचिकाकर्ता के पुर्नविलोकन अभ्यावेदन का निराकरण करने के लिए आदेशित किया था। इसके बाद भी एएसआई को सेवा में बहाल नहीं किया गया। फिर आनंद जाटव ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय और लक्ष्मीन कश्यप के माध्यम से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर किया था। अधिवक्ता अभिषेक और लक्ष्मीन ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि पुलिस रेगुलेशन 1861 के पैरा-241 में प्रावधान है कि यदि कोई शासकीय सेवक के विरूद्ध चल रहे आपराधिक ट्रायल/मामले में वह पूर्ण रूप से दोषमुक्त हो जाता है, तो वह पुनः सेवा में बहाली का पात्र है। लेकिन डीजीपी अशोक जुनेजा ने हाईकोर्ट से पारित आदेश का पालन नहीं करते हुए याचिकाकर्ता को सेवा में बहाल नहीं किया है। जस्टिस कोशी ने अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद मामले को स्वीकार करते हुए डीजीपी जुनेजा को इस मामले में तत्काल अपना जवाब पेश करने के लिए नोटिस जारी किया है।
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