छत्तीसगढ़ में चालू रहेंगे हुक्का-बार: हाईकोर्ट ने कहा, बिना कानून बंद नहीं होगा कारोबार

रायपुर: प्रदेश में युवाओं का कल्चर बन चुका हुक्का, एक बार फिर गुड़गुड़ाया जाएगा। हुक्के को स्टेटस सिम्बल मान चुके युवा दिखावे के लिए ही नहीं नशे के लिए भी इस्तेमाल करने लगे हैं। हालाँकि किसी भी कानून के तहत हुक्का प्रतिबंधित नहीं है। लेकिन सबको पता है की हुक्के के कोयले में सिर्फ फ्लेवर और साधारण तम्बाकू ही नहीं गांजे की पत्तियां भी मिलाई जा सकती हैं। चूँकि सैंकड़ो हुक्का बारों में जाकर हजारों हुक्कों की जांच नहीं हो सकती थी। ऐसे में सरकार ने गांजे का लाइसेंसी चिलम बन चुके हुक्का और हुक्का बारों को पूर्णतः बंद कर देने का फैसला लिया था। जिसका प्रदेश भर में स्वागत भी किया गया। ताकि नशे पर लगाम लगाई जा सके। लेकिन हाईकोर्ट ने एक झटके में प्रदेशभर के हुक्का कारोबारियों और सेवनकर्ताओं के मायूस चेहरों पर मुस्कान ला दी है। प्रदेश में हुक्का बार पर प्रतिबंध लगाने को लेकर प्रशासन की कार्रवाई को हाईकोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। कहा गया है कि बिना कानून लाए इस पर रोक नहीं लगा सकते हैं। रायपुर के राजेन्द्र नगर थाना प्रभारी ने एडिक्शन कैफे समेत 6 हुक्का बार संचालकों को कारोबार बंद करने के संबंध में नोटिस जारी किया था। इस नोटिस को चुनौती देते हुए कैफे संचालकों ने याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई बुधवार को जस्टिस आरसीएस सामंत की बेंच में हुई।
वकील अंकुर अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया कि राज्य शासन ने हुक्का बार पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। इस पर स्थानीय प्रशासन और पुलिस की ओर से बार संचालकों को बिना किसी कानून के दबाव डालकर हुक्का बार को बंद कराया जा रहा है। याचिका में तर्क दिया गया है कि राज्य शासन कोटपा एक्ट में संशोधन कर हुक्का बार को प्रतिबंधित करने की बात कही है। संविधान के प्रावधान के अनुसार राज्य शासन बिना किसी कानून के इस तरह से किसी भी कारोबार को बंद नहीं करा सकती।
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