कैसे करें धान बिक्री के लिए पंजीयन : ऑनलाइन कम्प्यूटर सिस्टम से गांव का नाम ही गायब, दर-दर भटकने को मजबूर किसान

कैसे करें धान बिक्री के लिए पंजीयन : ऑनलाइन कम्प्यूटर सिस्टम से गांव का नाम ही गायब, दर-दर भटकने को मजबूर किसान
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यह लापरवाही शासन-प्रशासन की है लेकिन, इसका खामियाजा किसान को भुगतना पड़ रहा है। इससे लीमपाली के किसानों ने सारंगढ़ जिला कलेक्टर को अवगत कराया था, जिसे लगभग महीने भर होने को आ गए। किंतु अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। पढ़िए पूरी खबर...

देवराज दीपक-सरिया। छत्तीसगढ़ के बरमकेला ब्लॉक में एक ऐसा गांव है, जहां ऑनलाइन कम्प्यूटर सिस्टम से गांव का नाम ही गायब हो गया है। इससे किसान धान बिक्री के लिए पंजीयन के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। आपको सुनने में अटपटा तो जरूर लग रहा होगा, लेकिन यह बिलकुल सत्य है कि यह गांव वनांचल क्षेत्र के लीमपाली गांव है। यहां के किसान कभी धान खरीदी केंद्र तो कभी तहसीलदार, तो कभी कलेक्ट्रेट के चक्कर काटकर थक चुके हैं। ऐसे में किसान अब अपने आप को ठगा हुआ महशुस कर रहे हैं। इनकी सुध लेने वाले जिम्मेदार मौन है, अब किसान भगवान भरोसे हैं।

दरअसल बरमकेला विकासखंड के वनांचल क्षेत्र के कालाखूंटा धान खरीदी केंद्र में गांव लीमपाली का नाम सो नहीं कर रहा है। इससे किसान धान बिक्री करने से वंचित हैं। यह लापरवाही शासन-प्रशासन की है लेकिन, इसका खामियाजा किसान को भुगतना पड़ रहा है। इससे लीमपाली के किसानों ने सारंगढ़ जिला कलेक्टर को अवगत कराया था, जिसे लगभग महीने भर होने को आ गए। किंतु अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है, जबकि ग्रामीण किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं।

अब तक किसानों का पंजीयन हुआ नहीं

ग्रामीण किसानों का परिवार धान बिक्री कर, अपने परिवार का सालभर पालन पोषण करते हैं। फसल तैयार करने के लिए बहुत से किसान कर्जा भी लिए हैं और धान बेचकर अपने परिवार की खुशियां समेटने का सपना सजाए हुए हैं। ऐसे में किसानों का पंजीयन तक नहीं हो सका है। अब देखना लाजमी होगा कि इनकी समस्या का समाधान जिला प्रशासन कब तक कर पाती है।

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