भाड़े की स्कीम में हाउसिंग को तगड़ा नुकसान, मंदी काल में सौ करोड़ की प्रॉपर्टी होल्ड

रायपुर. कमर्शियल प्लान के तहत में हाऊसिंग बोर्ड ने पिछले पांच साल में करोड़ों रुपये की प्रापर्टी खड़ी तो की है, लेकिन इन प्रापर्टी को बेचकर राजस्व जमा करने के मामले में तमाम स्कीमें धरी की धरी रह गई हैं। आलम कुछ ऐसा है कि कमर्शियल प्लान में भवनों का सौ फीसदी कारोबार हो नहीं सका,अब इन प्रापर्टी को भाड़े में देने भी मशक्कत करनी पड़ रही है। काेरोना संकटकाल में झटका ऐसा लगा है कि अब सौ करोड़ रुपये से भी ज्यादा की प्रापर्टी पूरी तरह से जाम हो गई है।
मंदी काल में अब इन्हें न ही खरीदार मिल रहे हैं और न ही इन्हें कोई भाड़े पर लेने के लिए पहुंच रहा है। इमारतें तैयार होने के बाद मेंटेनेंस भी सालों से बंद है। ऐसे में भवनों व व्यावसायिक परिसरों में भारी भरकम नुकसान होने का डर है। कई जगहाें जहां एलआईजी टाइप कॉलोनियां बनाई गई हैं, कमर्शियल प्लान में दुकानें जर्जर हालत में पहुंच गई हैं। प्रदेश के सभी संभागों में ऐसे ही सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रापर्टी है, जिसका इस्तेमाल फिलहाल के तौर पर नहीं हो पा रहा है। इसके कारण हाऊसिंग बोर्ड को मिलने वाले राजस्व को भी बड़ा नुकसान है। सौ करोड़ की प्रापर्टी में भाड़ा हर महीने दो से सवा दो करोड़ रुपये तक हाऊसिंग बोर्ड के खाते में बढ़ना तय है। लेकिन प्रापर्टी होल्ड हो जाने की वजह से इसका बड़ा नुकसान सहन करना पड़ रहा है।
आवक की वजह से प्रोजेक्ट भी खिसके
हाऊसिंग बोर्ड में आवक नहीं हो पाने की वजह से कई बड़े प्रोजेक्ट फंस गए हैं। इनमें सेजबहार फेस 02 और नरदहा फेस 02 शामिल है। पुरानी कॉलोनियों में ठीक-ठाक बसाहट होने के बावजूद नए प्रोजेक्ट में बजट की तंगी ने परेशानी खड़ी की है। हाऊसिंग बोर्ड को पुरानी कॉलोनियों में मेंटेनेंस को लेकर भी बड़ा खर्च शामिल करना पड़ रहा है। जहां मकानों की 100 फीसदी बिक्री हो गई है, अब कॉलोनियां नगर निगम को हैंडओवर करने की शुरुआत हुई है। कबीर नगर संभाग में हाऊसिंग कॉलोनियों को नगर निगम को सौंपने फाइल भी चली।
मेंटेनेंस नहीं होने से बल्क में शिकायतें
परसूलीडीह, सड्ढू से लेकर सेजबहार और खिलौरा से मेंटेनेंस के नाम पर बल्क में शिकायतें हैं। मानसून की शुरुआत में ही कॉलोनियों में जगह-जगह डबरी के हालात से लोग परेशान हैं। पुराने समय में बनाए गए भवनों की दीवारें चटकने के साथ प्लास्टर उखड़ने लगे हैं। इसकी शिकायत के बाद भी संभाग स्तर पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा।
रेंट कंट्रोलर की बताई कीमत पर भाड़ा : मौजूदा कमर्शियल प्लान में यह नियम है कि जरूरतमंद हाऊसिंग बोर्ड के पास से भवन किराए पर ले सकते हैं। सरकार बदलने के बाद भाड़ा नीति पर नई शर्ताें के साथ में सहमति बनी है। आरडीए पुराना कांप्लेक्स में रेंट कंट्रोलर कार्यालय से निर्धारित दर पर भवनों का किराया तय किया जाता है।
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