38 दिन बाद भी प्रशासन के हाथ खाली, मंदिरहसौद में चल रही अवैध गुटखे की फैक्ट्री

38 दिन बाद भी प्रशासन के हाथ खाली, मंदिरहसौद में चल रही अवैध गुटखे की फैक्ट्री
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Raipur: खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने 30 मई की रात मंदिरहसौद के एक बंद भवन में दबिश देकर प्रतिबंधित गुटखा निर्माण की फैक्ट्री पकड़ी थी। मंदिरहसौद के बंद भवन में चल रही अवैध गुटखा की फैक्ट्री के मामले में खाद्य एवं औषधि प्रशासन के हाथ 38 दिन बाद अब भी खाली हैं। आइए जानते है पूरी खबर...

Raipur News: मंदिरहसौद के बंद भवन में चल रही अवैध गुटखा की फैक्ट्री के मामले में खाद्य एवं औषधि प्रशासन के हाथ 38 दिन बाद भी खाली हैं। प्रतिबंधित गुटखा के सैंपलों की रिपोर्ट अब तक उसे नहीं मिल पाई है और ना इस मामले में संचालक से किसी तरह की पूछताछ हो पाई है। मामला लगभग डेढ़ करोड़ की फैक्ट्री से संबंधित था।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने 30 मई की रात मंदिरहसौद के एक बंद भवन में दबिश देकर प्रतिबंधित गुटखा निर्माण की फैक्ट्री पकड़ी थी। यहां बड़ी मात्रा में जर्दायुक्त गुटखा बनाकर उसे रोजाना बाजार में खपाने के लिए भेजा जाता था। छापेमारी के दौरान वहां बड़ी संख्या में दूसरे राज्य से आकर मजदूरी करने वाले लोग पकड़े गए थे। दूसरे दिन मजदूरों को छोड़ दिया गया, मगर फैक्ट्री से फरार सुपरवाइजर का पता नहीं लगाया जा सका था।

गुटखा का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजने के बाद फैक्ट्री मालिक की पतासाजी के नाम पर लंबा वक्त बिता दिया गया। सूत्रों के मुताबिक छापेमारी के 38 दिन बीतने के बाद भी जांच टीम को लैब से गुटखा के सैंपलों की रिपोर्ट नहीं मिल पाई है और इसी वजह से अब तक गुटखा फैक्ट्री का संचालक से पूछताछ नहीं हो पाई है। खाद्य विभाग की टीम द्वारा इस अवैध गुटखा फैक्ट्री के संचालक का नाम भी उजागर नहीं किया गया है। छापेमारी के दौरान वहां करीब डेढ़ करोड़ का सामान जब्त किया गया था।

शुरुआत में धमाचौकड़ी,फिर मामला ठंडा

गुटखा फैक्ट्री में छापेमारी के दौरान खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम द्वारा खूब हो-हल्ला मचाया गया था। इसके बाद जांच के दौरान विभिन्न प्रक्रियाओं समस्याओं का हवाला देकर देर की जाने लगी। कार्रवाई के बाद प्रकरण की जांच के दौरान टीम पर विभिन्न तरीकों से मामले को ठंडा करने कई तरीकों से प्रेशर बनाए जाने की भी चर्चा रही।

नामी कंपनी के नाम यहां सुपारी, कत्था, तंबाकू सहित अन्य पदार्थों के माध्यम से गुटखा तैयार कर उसे पाउच में पैक भी किया जाता था। फैक्ट्री से रोजाना लाखों रुपए का गुटखा बाहर निकाला जाता था। विभागीय टीम इस बात का भी पता नहीं लगा पाई कि गुटखा किस एजेंसी के नाम में और किस क्षेत्र में खपाया जाता था।

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