आजादी के पूर्व से आज तक पत्रकारिता की अहम भूमिका : डॉ. हिमांशु द्विवेदी

खैरागढ़। जब देश के लोग अपने वतन भारत को आजादी दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे उस दौरान से आज तक पत्रकारिता अपनी महती भूमिका रही है। उस जमाने के संग्रहित समाचार पत्रों और पत्रकारों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और नेतृत्व के बयान इस बात के साक्षी हैं कि भारत की आजादी में पत्रकारिता की भूमिका कहीं किसी से कम नहीं थी। वहीं आज देश के स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो जाने के बाद भी पत्रकारिता अपनी अहम भूमिका एवं जवाबदारी को पूरी ईमानदारी से निभा रहा है। ये बातें नागरिक मंच की ओर से विश्व प्रसिद्ध इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित एक समारोह में हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक, प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा है। उन्होंने पत्रकारिता से जुड़े उन गंभीर पहलुओं और संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह पत्रकारिता की ही शक्ति थी, जब आजादी के समाचारों को विशाल भारत के कोने-कोने तक पहुंचाया जाता था। जनता की आवाज को अंग्रेजी हुक्मरानों तक पहुंचाया जाता था। भारत की आजादी के उद्घोष को अंकित किया गया।
पत्रकारिता का कार्य ईमानदारी नहीं कर्तव्यनिष्ठा है
डॉ. द्विवेदी ने कहा कि आज भी पत्रकारिता अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभा रहा है। आज भी जब समाज, शासन-प्रशासन राजनीति के माध्यम से आम नागरिकों का कार्य संपन्न नहीं हो पाता तो लोग हमारे पत्रकार साथियों तक बात पहुंचाते हैं और समाधान पा रहे हैं। आज पत्रकार प्रतिकूल से प्रतिकूल हालातों में अलसुबह आप तक समाचार पत्र पहुंचाने में कर्तव्यों का निर्वहन करने में जुटा है, लेकिन खेद तब होता है, जब कोई दूसरे समाचार पत्र की ओर से अखबार खरीदी के पीछे उपहारों की घोषणा कर देने के बाद आप और हम अपने दशकां पुराने अखबार से नाता तोड़ लेते हैं। साथ ही समय पर उचित भुगतान भी पत्रकारिता जगत में एक बड़ी समस्या है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में भारतीय पत्रकारिता सबसे कम दर पर अपने उपभोक्ताओं के लिए समय पर अखबार पहुंचाता है। इसमें देश की आर्थिक, सामाजिक, व्यापारिक, शैक्षणिक, चिकित्सकीय, प्रशासनिक प्रगति के अलावा देश की बाहरी सुरक्षा की स्थिति, आंतरिक शांति, सहयोग समभाव सहित हर घटनाक्रम को आप तक पहुंचा रही है। बावजूद इसके यह भी सुनने में आता है कि पत्रकारिता सक्षम लोगों का उपक्रम है। ऐसा नहीं है पत्रकारिता एक साफ-सुथरी, स्वच्छ नियत की विषय वस्तु है। बस आपका नजरिया अनुकूल होना चाहिए। उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर देश में महिला सशक्तिकरण के विषय में जानकारी देते बताया कि भारत वह देश है, जिसने आजादी के बीस बरस के भीतर ही देश को महिला प्रधानमंत्री दिया और वर्तमान में आदिवासी क्षेत्र से आने वाली महिला देश की राष्ट्रपति है। जबकि विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की ओर से प्राप्त किए जा रहे उच्च स्थान एवं सफलता को सामने रखते महिला सशक्तिकरण पर भी प्रकाश डाला।
महिला सशक्तिकरण को लेकर हुई चर्चा
वहीं दुर्ग रेंज कमिश्नर कावरे ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के शिक्षा के प्रति आह्वान को प्रत्यक्ष करते कहा कि आज भी देश अपने पुराने सामाजिक उतार-चढ़ाव से बाहर नहीं निकल पाया है। इस दिशा में अभी बहुत जागरूकता और काम करने की आवश्यकता है। खैरागढ़ के ओएसडी जगदीश सोनकर ने भी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमें हर चुनौतियों को हमेशा स्वीकार करना चाहिए। शीतल जैन ने कहा कि आज हम देश में आजादी की 75वीं वर्षगांठ अर्थात आजादी का अमृत महोत्सव मनाने जा रहे हैं, लेकिन देश में आज भी महिलाओं की स्थिति में आशा के अनुरूप बदलाव नहीं आया है। विनय शरण सिंह ने कहा कि शिक्षा की स्थिति में बदलाव और सोच से ही आने वाले समय में उन्नत समाज की कल्पना की जा सकती है। वहीं कुल सचिव आईडी तिवारी ने कहा कि देश की आजादी के पूर्व जो मापदंड समाज में महिला और पुरूषों के बीच थी, आजादी के बाद भी वर्षों तक वहीं मापदंड जारी रहने के चलते आज देश में महिलाओं की स्थिति ऐसी है। लेकिन जिस तरह से देश और देशवासियों की सोच व क्रियान्वयन में परिवर्तन देखने को मिल रहा है, जल्द ही देश में महिला सशक्तिकरण जैसी योजनाएं बंद करने की स्थिति आ सकती है।
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