खैरागढ़ विवि में दीक्षारंभ: कुलपति प्रो. बाजपेयी ने कहा - जीवनयात्रा के दो पड़ाव हैं गुरू और शिष्य

खैरागढ़ विवि में दीक्षारंभ: कुलपति प्रो. बाजपेयी ने कहा - जीवनयात्रा के दो पड़ाव हैं गुरू और शिष्य
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इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में नवप्रवेशी विद्यार्थियों के लिए “दीक्षारंभ” कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान राज्य के बड़े कुलपति मौजूद रहे। पढ़िए पूरी खबर ...

खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में नवप्रवेशी विद्यार्थियों के लिए "दीक्षारंभ" कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति प्रो. एडीएन बाजपेयी उपस्थित हुए। मंच पर इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री डाॅ. मोक्षदा (ममता) चंद्राकर, कुलसचिव प्रो. आई.डी.तिवारी, अधिष्ठातागण मौजूद थे।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. बाजपेयी ने नवप्रवेशी विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि गुरू का ज्ञान ही जीवन को सफल बनाने और मोक्ष प्राप्त करने का ब्रह्मास्त्र है। उन्होंने कहा कि गुरू और शिष्य जीवन के दो महत्वपूर्ण पड़ाव हैं। गीत के विषय में कहा कि काव्य एक गीत को जन्म देता है, संगीत उसमें एक प्राण फूंकता है, तब एक मधुर गीत का सृजन पूर्ण होता है। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को मोक्ष प्राप्ति का माध्यम बताते हुए कहा कि शास्त्रीय संगीत भारतीय संस्कृति का संवाहक है। उन्होंने नवप्रवेशी विद्यार्थियों से कहा कि पढ़ाई का मतलब सिर्फ लिखी हुईं पंक्तियां पढ़ लेना नहीं है, बल्कि पंक्तियों के बीच की रिक्तियों को पढ़ लेना असली पढ़ाई है।

इस अवसर पर कुलपति पद्मश्री डाॅ. चंद्राकर ने कहा कि कला के विद्यार्थी धैर्य के साथ अपने गुरूजनों से ज्ञानार्जन करें। गुरूओं से प्रेरणा अवश्य लें, किन्तु अपनी मौलिकता को न खोएं, नकल करने से बचें। उन्होंने नवप्रवेशी विद्यार्थियों से अपील की कि वे विश्वविद्यालय की परंपरा और अनुशासन का पालन करते हुए विश्वविद्यालय में शिक्षाग्रहण करें।

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