इंडोर स्टेडियम खंडहर में तब्दील : करोड़ों की लागत से बने स्टेडियम की सुध लेने वाला कोई नहीं, पार्षद ने कहा- हाईकोर्ट से करेंगे कार्यवाही की मांग

जितेन्द्र सोनी/पत्थलगांव। छत्तीसगढ़ में एक ओर सरकार खेल प्रतिभा को बढ़ावा देने की बात करती है और अभी कुछ महीने पूर्व ही प्रदेश में खेल उत्सव की भी गूंज थी। वहीं दूसरी ओर देखा जाये तो प्रशासन की लापरवाही के कारण आज खेल प्रेमी खेल से अछूते होते नजर आ रहे हैं। दरअसल, जशपुर जिले में स्थित पत्थलगांव क्षेत्र का एकमात्र इंडोर स्टेडियम प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता की वजह से खंडहर में तब्दील हो रहा है। जल्द ही सुध नहीं लिया गया तो यह भी बेवजह बने भवनों की तरह अपना अस्तित्व खोने से नहीं बच सकता। शासकीय महाविद्यालय के खेल मैदान में इंडोर स्टेडियम का निर्माण कर लोक निर्माण विभाग ने शासकीय कॉलेज के सुपुर्द कर दिया था। अब बिजली भुगतान की बारी आई तो सब विभाग एक दूसरे के ऊपर आरोप मढ़ते नजर आ रहे हैं।
कई महीनों से काट दी गई है बिजली
ज्ञात हो कि, कुछ सालों पहले खेल प्रेमियों की विशेष मांग पर लाखझार के कॉलेज मैदान में करोड़ों की लागत से इंडोर स्टेडियम का निर्माण किया गया था। इससे लोगों में काफी उत्साह था और खैल प्रेमियों की ओर से समय-समय पर प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जा रहा था। प्रतिदिन काफी खेल प्रेमी वहा खेलने भी जाया करते थे। इसमें कांसाबेल, लुडेग, कछार, पत्थलगांव, पाकरगांव समेत आसपास से खेल प्रेमी आया करते थे। इतना ही नहीं कोरोना कॉल में भी इसका उपयोग आइसोलेशन सेंटर के रूप में किया गया था, पर अचानक बिजली बिल के बकाया होने के कारण वहां की बिजली काट दी गई और प्रशासन के संज्ञान में होने के बावजूद इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। विगत कुछ महीने से बिजली कटी हुई है।
स्टेडियम में खिलाड़ियों का आना-जाना बंद
जब इस सबंध में हमने वहाँ खेलने जाने वाले खेल प्रेमी नगर के वार्ड 10 के पार्षद अजय बंसल से बात कि तो उन्होंने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि न तो स्थानीय प्रशासन और न ही यहां के जनप्रतिनिधि इस ओर कोई ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि, इनडोर स्टेडियम बनने से लोगों में उम्मीद जागी थी कि हमारे साथ-साथ बच्चों को भी खेलकूद की कोचिंग मिल सकेगी, लेकिन प्रशासन की उपेक्षाओं के कारण स्टेडियम बदहाल पड़ा है। पिछले काफी समय से स्टेडियम की बिजली कटी हुई है, जिसकी वजह से खिलाड़ियों का आना-जाना बंद है। कुर्सियां धूल फांक रही हैं। इस वजह से मजबूरन उन्हें कलेक्टर के पास आवेदन देते हुए हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ रहा है और वो माननीय न्यायालय से ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग करते हुए खेल प्रेमियों के हितों की रक्षा करने की मांग करेंगे।
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