Impact : सदन में विपक्ष के सवालों का लिखित जवाब देगी सत्ता, 'आईएनएच' ने प्रमुखता से उठाया था यह मुद्दा

Impact : सदन में विपक्ष के सवालों का लिखित जवाब देगी सत्ता, आईएनएच ने प्रमुखता से उठाया था यह मुद्दा
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‘आईएनएच न्यूज’ द्वारा रात 8 बजे प्रसारित होने वाले प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के डिबेट शो ‘चर्चा’ में शुक्रवार को ‘सवाल करना मना है’ टाइटल के साथ एक परिचर्चा की गई थी। पढ़िए पूरी खबर-

नई दिल्ली। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी (Parliamentary Affairs Minister Pralhad Joshi) ने कहा है कि विपक्षी दल प्रश्नकाल (question hour) और शून्यकाल (zero hour) पर सवाल उठा रहे हैं। अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal), वी मुरलीधरन (V Muraleedharan) और मैंने इस बारे में प्रत्येक पार्टी से बातचीत की है। टीएमसी (TMC) के डेरेक ओ ब्रायन (Derek O'Brien) को छोड़कर इस संबंध में (प्रश्नकाल को रद्द करने के लिए) सभी ने सहमति व्यक्त की है। हालांकि इसके बाद अतारांकित सवालों के लिखित में जवाब देने पर सहमति बन गई।

आपको बता दें कि 'आईएनएच न्यूज' द्वारा रात 8 बजे प्रसारित होने वाले प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के डिबेट शो 'चर्चा' में शुक्रवार को 'सवाल करना मना है' टाइटल के साथ एक परिचर्चा की गई थी। इस परिचर्चा में मध्यप्रदेश के पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा, छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडेय, संविधान विशेषज्ञ डॉ. सुभाष कश्यप और वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह ने संसदीय प्रणाली के अंतर्गत सदन विपक्ष के सवालों की जरूरत पर बेबाकी से अपने विचार व्यक्त किए थे। जिसके बाद आज अतरांताकित प्रश्नों के लिखित में जवाब देने पर सहमति की खबर आई है।



संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी (Pralhad Joshi) ने यह भी कहा है, "मैंने लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) और राज्यसभा सभापति (Rajya Sabha Chairman) को सुझाव दिया है कि शून्यकाल (zero hour) की अवधि 30 मिनट रखी जाए। वे अंतिम निर्णय लेंगे। सरकार (government) हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। हमने स्पीकर से अतारांकित प्रश्न (unstarred questions) लेने का भी अनुरोध किया है।" सरकार के इस कदम का मतलब होगा कि लिखित सवालों के लिखित जवाब दिये जायेंगे।

संसद के आगामी मानसून सत्र में न तो प्रश्न काल होगा और न ही गैर सरकारी विधेयक लाए जा सकेंगे। कोरोना महामारी के इस दौर में पैदा हुई असाधारण परिस्थितियों का हवाला देते हुए शून्य काल को भी सीमित कर दिया गया है। इस कदम, खासकर प्रश्न काल के निलंबन से, विपक्षी दल बुधवार को भड़क उठे और सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह सवाल पूछने के सांसदों के अधिकारों से उन्हें वंचित करना चाहती है। उनका कहना है ऐसा इसलिए किया गया है ताकि विपक्षी सदस्य अर्थव्यवस्था और कोरोना महामारी पर सरकार से सवाल न पूछ पाएं।

'आईएनएच न्यूज' के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ देखिए 'सवाल करना मना है' -



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