कांग्रेस के आपसी झगड़े का नतीजा था झीरम कांड : ननकीराम बोले-कांड के वक्त मैं था गृहमंत्री, आपसी झगड़े की वजह से हुआ था हमला

कांग्रेस के आपसी झगड़े का नतीजा था झीरम कांड :  ननकीराम बोले-कांड के वक्त मैं था गृहमंत्री, आपसी झगड़े की वजह से हुआ था हमला
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मेरे गृहमंत्री रहने के दौरान ही झीरम घाटी हमले की यह घटना हुई थी। उस वक्त कांग्रेस के नेताओं में आपसी झगड़े की वजह से कांग्रेस के काफिले में नक्सली हमला हुआ था। इस काफिले में एक नेता किसी और रास्ते से गया तो, वहीं दूसरा नेता किसी दूसरे रास्ते से गया था। इन सब बातों से स्पष्ट था कि कांग्रेसी नेताओं में आपसी लड़ाई ही, झीरम घाटी हमले की वजह बनी थी। पढ़िए पूरी खबर...

संदीप करिहार-बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की बहुचर्चित झीरमघाटी नक्सली हमले को लेकर रामपुर विधायक का बड़ा बयान सामने आया है। पूर्व गृहमंत्री और विधायक ननकीराम कंवर ने अपने बयान में कहा कि कांग्रेस में आपसी लड़ाई ही झीरम हमले की वजह थी। कई ऐसी बातें हैं जो यह साफ करती है जो कांग्रेस के काफिले में नक्सली हमलों की वजहों को साफ करती है।

आपसी लड़ाई ही थी हमले की वजह

ननकीराम कंवर ने अपने बयान में कहा कि मेरे गृहमंत्री रहने के दौरान ही झीरम घाटी हमले की यह घटना हुई थी। उस वक्त कांग्रेस के नेताओं में आपसी झगड़े की वजह से कांग्रेस के काफिले में नक्सली हमला हुआ था। इस काफिले में एक नेता किसी और रास्ते से गया तो, वहीं दूसरा नेता किसी दूसरे रास्ते से गया था। इन सब बातों से स्पष्ट था कि कांग्रेसी नेताओं में आपसी लड़ाई ही, झीरम घाटी हमले की वजह बनी थी।

15-17 % DMF फंड का कमीशन

वहीं, ननकीराम कंवर ने आगे अपने बयान में कहा कि पैसा वसूली के अलावा राज्य सरकार, कोई दूसरा काम नहीं कर रही है। प्रदेश में पटवारी और थानेदार से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी भ्रष्टाचार में संलिप्त है। पटवारी और थानेदार आम आदमी से 30-40 हजार रुपए वसूल रहें है। DMF फंड की राशि में 15 से 17 प्रतिशत तक कमीशन देना पड़ता है। मेरे रहते तक कभी राज्य में सरकार की ऐसी स्थिति नहीं बनी थी। देखें वीडियो...

आखिर क्या है झीरमघाटी नक्सली हमला ?

9 साल बीते, 2013 के चुनाव के पहले कांग्रेस ने पूरे राज्य में परिवर्तन यात्रा निकाली थी। इस रैली में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सभी टॉप नेता शामिल थे। रैली के खतम होने के बाद काफिला झीरम घाटी से गुजर रहा था। उसी दौरान नक्सलियों ने पेड़ों को गिराकर रास्ता बंद कर दिया। गाड़ियां रुकीं और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, पेड़ों के पीछे छिपे 200 से भी ज्यादा नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। नक्सलियों ने सभी गाड़ियों को निशाना बनाया। नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश की मौके पर ही मौत हो गई। करीब डेढ़ घंटे की इस फायरिंग में कांग्रेस के कई बड़े नेता नक्सलियों के हाथों मारे गए।इस हमले में नक्सलियों ने बस्तर टाइगर कहे जाने वाले महेंद्र कर्मा को थोड़ी दूर ले जाकर बेरहमी से हत्या कर दी। हमले में 30 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई। इसमें अजीत जोगी को छोड़कर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के उस वक्त के अधिकांश बड़े नेता और सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए। देखें वीडियो....


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