जूनियर डॉक्टरों ने किया कमाल : ACI के जूनियर डॉक्टरों ने बचाई मरणासन्न रोगी की जान, 60 वर्षीय बुजुर्ग की महाधमनी फट गई थी

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल से संबद्ध एडवांस कॉर्डियक इंस्टीस्च्यूट-ACI के जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी में आए एक मरणासन्न रोगी की जान बचा ली है। रोगी एक निजी अस्पताल से रेफर होकर पहुंची थी। मरीज की महाधमनी यानी एआर्टा फट गई थी। इसके बाद ब्लड प्रैशर 220/140 तक था। पेशाब का बनना बंद हो गया था। उसके बाद भी डॉक्टरों ने मरीज को स्थिर किया है। बाद में एक नई तकनीक का इस्तेमाल का विशेषज्ञों ने महाधमनी को रिपेयर कर दिया।
इस कठिन इलाज के बारे में ACI की रेजिडेंट डॉ.अनन्या दीवान ने बताया कि, 20 नवम्बर को 60 वर्षीय एक मरीज निजी अस्पताल से रेफर होकर आई थी। निजी अस्पताल में उनकी स्थिति बिगड़ गई थी, पेशाब जाना बंद हो गया था। ब्लड प्रेशर 200/140 तक पहुंच गया था। उसी स्थिति में अस्पताल ने मरीज के परिजनों को कह दिया गया कि, हम अब कुछ नहीं कर सकते। आप इन्हें अम्बेडकर अस्पताल ले जाइए। निजी अस्पताल में मरीज की सर्जरी की पूरी तैयारी की थी। ऐसे में जब वे अम्बेडकर अस्पताल पहुंचे तो पूरी जांच रिपोर्ट मौजूद थी। मरीज का एऑर्टा (महाधमनी) हार्ट के निकलने से कुछ दूर पहले ही फट गया था।
उसके अंदर का एक फ्लैप फटकर बाईं जांघ के अंदर चला गया था। फ्लैप के अंदर का एक ल्यूमेन ( नलिकामय संरचना के अंदर की जगह जिसमें से रक्त और भोजन का प्रवाह होता) रहता है। परंतु उसके फटने के बाद बाहर की दीवार की ओर दूसरा ल्यूमेन बन जाता है। ऐसे में फटी हुई जगह पर खून भर जाता है जो वास्तविक ल्यूमेन को बंद कर देता है। इस वास्तविक ल्यूमेन से ही किडनी की नसों, आंतों की नसों और पैरों की नसों तक खून पहुंचता है। खून का प्रवाह बंद होने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इस मरीज का ब्लड प्रेशर 200/140 पर पहुंच गया था। किडनी ने यूरिन बनाना बंद कर दिया था।
डॉक्टरों ने पहले स्थिति को संभाला। उसके बाद ACI के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में जूनियर रेजिडेंट अनन्या दीवान एवं डॉ. गुरकीरत अरोरा ने धमतरी के इस मरीज को ठीक कर दिया गया। यही नहीं इस टीम ने ऐसे ही एक 55 वर्षीय अन्य मरीज की महाधमनी विच्छेदन के केस में बेहतर इलाज देकर उनका जीवन बचा लिया। डॉ. स्मित श्रीवास्तव का कहना है, दोनों जूनियर डॉक्टरों ने अगर मरीज को स्टेबल नहीं किया होता तो हम आगे का प्रोसीजर भी नहीं कर पाते।
ब्लड प्रैशर को किया कंट्रोल
डॉक्टरों ने बताया, मरीज को रात में आम्बेडकर अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में लाया गया था। वहां ACI के दो रेजिडेंट डॉक्टरों डॉ. अनन्या दीवान और डॉ. गुरकीरत अरोरा ने ब्लड प्रेशर डाउन करने की दवा शुरू की। धीरे-धीरे ब्लड प्रेशर को नीचे लाया क्योंकि बढ़े हुए ब्लड प्रेशर के कारण नस का फटना और बढ़ जाता है। 200 के प्रेशर में नस का जो फ्लैप उखड़ा है उसको धीरे- धीरे प्रेशर ही फाड़ता जाता। दवाइयों की मदद से ब्लड प्रेशर 130/80 के करीब लाया गया। उसके बाद मरीज का यूरिन आने लगा।
आयुष्मान कार्ड से मिली मदद
मरीज की हालत को स्थिर करने के बाद मरीज के इलाज की आर्थिक दिक्कतें दूर करने की कोशिश भी शुरू हुई। चिकित्सा महाविद्यालय की डीन डॉ. तृप्ति नागरिया, आम्बेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एसबीएस नेताम और आयुष्मान योजना के स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. श्रीकांत राजिमवाले की सहायता से लगभग 5 लाख रुपए की सहायता राशि मंजूर कराई गई।
ऐसे हुआ उपचार
पैर की नस से एक पाइप डाला, कैथेटर डाला और उस कैथेटर के द्वारा स्टंट को उस जगह तक पहुंचाया गया जहां पर एऑर्टा या महाधमनी फटी हुई थी। स्टंट को वहां पर फुलाया और स्टंट को छोड़ दिया तो फटी हुई दीवार स्टंट से दब गई। इससे खून का रिसना बंद हो गया। मरीज का ब्लड प्रेशर टेबल पर ही नॉर्मल होना चालू हो गया। मरणासन्न स्थिति में आये दोनों मरीज शनिवार तक ठीक हो गये। दोनों ने चलना शुरू कर दिया है। रविवार को दोनों की अस्पताल से छुट्टी हो जाएगी।
ये डॉक्टर थे शामिल
दोनों मरीजों की फटी महाधमनी का इलाज करने वाली टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव और डॉ. योगेश विशनदासानी के साथ ACI के रेजिडेंट डॉ. अनन्या दीवान, डॉ. गुरकीरत अरोरा, एनेस्थेटिस्ट डॉ.अमृता, सिस्टर इन चार्ज नीलिमा शर्मा, टेक्नीशियन आई. पी. वर्मा और खेम सिंह शामिल रहे।
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