Bastar dussehra: काछनगादी पूजा विधान आज : कांटे के झूले में झूलेंगी देवी, दशहरा मनाने की देंगी अनुमति

Bastar dussehra: काछनगादी पूजा विधान आज : कांटे के झूले में झूलेंगी देवी, दशहरा मनाने की देंगी अनुमति
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अश्विन माह की अमावस्या के दिन काछनगादी पूजा की जाती है। कांटे के झूले में झूलने वाली कंटकजई काछन देवी बस्तर राजा को दशहरा मनाने की अनुमति देती हैं। पढ़िए पूरी खबर....

जीवानंद हलधर-जगदलपुर। शक्ति के अराधना का महापर्व आरंभ होने को है। विश्वप्रसिद्ध बस्तर दशहरा (bastar dussehra) की रीतियां हरेली अमावस्या के दिन से ही शुरू हो चुकी है। यह महापर्व 75 दिनों तक चलता है, इसके अंतर्गत रियासत काल से चली आ रही परंपराओं को राजपरिवार के सदस्य और क्षेत्रीय समुदाय के लोग निभाते हैं।

इस महापर्व में अंचल के सभी वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी होती है। हर समुदाय के लोग विभिन्न नियमों को निभाते हैं। इसी कड़ी में एक खास समुदाय की कुवांरी कन्या पर काछन देवी (kachan devi) आरूण होती हैं और बस्तरवासियों को दशहरा मनाने की अनुमति देती हैं।

काछनगादी पूजा विधान आज

अश्विन माह की अमावस्या के दिन काछनगादी पूजा की जाती है। कांटे के झूले में झूलने वाली कंटकजई काछन देवी बस्तर राजा को दशहरा मनाने की अनुमति देती हैं।

कन्या पर आरूढ़ होंगी देवी, कांटों के झूले पर झूलकर देंगी अनुमति

राजा और राज परिवार के सदस्य शाम को जुलूस लेकर देवी के मंदिर पहुंचते हैं। दंतेश्वरी के पुजारी परिवार की ओर से कार्यक्रम की अगुवाई करते हैं। सैकड़ों लोगों की भीड़ पूजा विधान की साक्षी बनती है। मान्यता के अनुसार हर वर्ष एक नाबालिग बालिका पर काछन देवी आरूढ़ होती हैं। कार्यक्रम के तहत एक भैरव भक्त सिरहा आह्वान करता है और उस कुमारी लड़की पर काछन देवी का प्रभाव आने लगता है। वहीं, काछन देवी आने पर लड़की को एक कांटेदार झूले पर लिटा कर झुलाया जाता है। देवी की पूजा -अर्चना कर दशहरा मनाने की स्वीकृति प्राप्त की जाती है।

इस बार छह वर्ष की कन्या पर आरूढ़ होंगी काछन देवी

मिली जानकारी के अनुसार, काछनगादी पूजा विधान में इस बार जगदलपुर की छह वर्ष की पीहू दास पर काछन देवी आरूढ़ होंगी। बता दें कि इसके पहले अनुराधा दास पर देवी आरूढ़ होती रही हैं। सात वर्षों तक अनुराधा देवी का प्रतिरूप रही।

पनका समुदाय की कुंवारी कन्या देवी की प्रतिरूप

पीहू के परिवार वालों ने बताया है कि वे पनका जाति के हैं और ये परंपरा सदियों से मनाते आ रहे हैं, जो आज भी चल रहा है। उन्होंने आगे ये भी कहा पीहू उनकी नातिन है। वह एक सप्ताह से उपास में है आज माता आरूढ़ होंगी और दशहरा पर्व मनाने की अनुमति देंगी।

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