केदार कश्यप ने कहा- राज्य सरकार कर्मचारी विरोधी, कल दीपावली लेकिन कर्मचारियों को अब तक नहीं मिला वेतन...

केदार कश्यप ने कहा- राज्य सरकार कर्मचारी विरोधी, कल दीपावली लेकिन कर्मचारियों को अब तक नहीं मिला वेतन...
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केदार कश्यप ने कहा कि राज्य सरकार की नाकामी की वजह से प्रदेश के कर्मचारियों और अधिकारियों को अब तक वेतन नहीं मिल पाया है। इसकी वजह से कर्मचारियों में नाराजगी और मायूसी है। और क्या कहा उन्होंने पढ़िए पूरी खबर...

रायपुर। दीपावली त्योहार को 1 दिन बचे हैं और छत्तीसगढ़ सरकार की नाकामी की वजह से राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों को अब तक वेतन नहीं मिल पाया है। इसकी वजह से कर्मचारियों में नाराजगी और मायूसी है। राज्य सरकार कर्मचारी विरोधी है। यह बातें भाजपा प्रदेश महामंत्री और प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कही हैं। कश्यप ने कहा कि देश के सबसे बड़े त्योहार दीपावली के लिए सभी तरफ उत्साह का माहौल है, लेकिन छत्तीसगढ़ और बस्तर संभाग में अभी तक कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। त्योहार के समय वेतन न मिलने से कर्मचारियों के परिवार पर आर्थिक संकट आ पड़ा है, लेकिन राज्य सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।

राज्य सरकार संवेदनशून्य हो चुकी

कश्यप ने कहा कि राज्य सरकार संवेदनशून्य हो चुकी हैं। ऐसी सरकार जो अपने प्रदेश की जनता का सुख दुख न समझ सके, उसे पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार ही नहीं है। सरकार जल्द से जल्द कर्मचारियों का वेतन जमा कर ताकि सभी लोग खुशी-खुशी त्योहार मना सकें। उन्होंने कहा कि भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ कर्मचारियों को लगभग 5500 करोड़ रुपए के लाभ से वंचित किया है। वर्ष 2019 से कर्मचारियों को केन्द्र में घोषित महंगाई भत्ता नहीं दिया गया।

महँगाई भत्ता 5 प्रतिशत बढ़ा

कर्मचारियों के आंदोलन के बाद जब महँगाई भत्ता 5 प्रतिशत बढ़ा दिया गया, तो इससे पूर्व के तीन साल का महंगाई भत्ता से उन्हें वंचित कर दिया। भाजपा की सरकार में इस राशि को जीपीएफ में जमा कर दिया जाता था। जो कि रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को एक बढ़ी राशि के रूप में काम आता था। इसी प्रकार आवास भाड़ा भत्ता सातवें वेतनमान अनुसार मिलना चाहिए, परंतु छत्तीसगढ़ सरकार ने यहां पे भी कर्मचारियों का गला दबाया है। प्रति मास तीन हज़ार रुपए का नुक़सान कर लगभग कर्मचारियों का डेढ़ हज़ार करोड़ रुपए का नुक़सान किया है। इसका सबसे ज़्यादा नुक़सान पेंशनधारियों को हो रहा है, जो अपनी आवाज़ उठाने असमर्थ है।

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