बालवाड़ी बना कमाईवाड़ी : शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने 2 हजार का सामान 15 हजार में खरीदा

बालवाड़ी बना कमाईवाड़ी : शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने 2 हजार का सामान 15 हजार में खरीदा
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आदिवासी अंचल की शिक्षा में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार नित नई योजनाओं को क्रियान्वित कर रही है, पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कारगुजारी के कारण शासन की अच्छी भली योजना भी इस अंचल में आकर बेकार साबित हो रही है। पढ़िए पूरी खबर...

रविकांत सिंह राजपूत/मनेंद्रगढ़। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नौनिहालों के लिए शुरू की गई बालवाड़ी योजना का अफसर पलीता लगा रहे हैं। आदिवासी अंचल की शिक्षा में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार नित नई योजनाओं को क्रियान्वित कर रही है, पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कारगुजारी के कारण शासन की अच्छी भली योजना भी इस अंचल में आकर बेकार साबित हो रही है। योजनाओं में भ्रष्टाचार की नींव रखने के कारण शुरुआती दौर में ही उन पर दाग लगने शुरू हो जाते हैं। कोरिया और मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में इस योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। कुल 26 लाख 40 हजार रुपए से अधिकारियों और सप्लायर ने मिलकर फर्जीवाड़ा किया है।

2 हजार का सामान 15 हजार में खरीदा

बालवाड़ी के लिए स्कूलों के प्रधानपाठकों को सतत् शिक्षा समग्र योजना के तहत 15 हजार रुपए दिए गए। इससे सभी स्कूलों ने बालवाड़ी के क्लास रूम की सामग्री खरीदी। स्कूलों ने जो सामग्री खरीदी उसका बाजार दर 2 से 3 हजार रुपए हैं, लेकिन उक्त सामग्री को सभी प्रधानपाठकों ने 15 हजार रुपए में खरीद ली। नाम न छापने के शर्त पर हरिभूमि को एक प्रधान पाठन ने बताया कि समग्र शिक्षा के जिला मिशन समन्वयक मनोज कुमार पांडेय जो कि सूरजपुर के रहने वाले हैं के मौखिक आदेश के तहत खरीदा गया। वहीं इस मामले में हैरत की बात यह है कि जिस फर्म ने कोरिया और एमसीबी जिले के 176 स्कूलों में जिस फर्म ने सामग्री सप्लाई की है, वह भी सूरजपुर की फर्म है। फर्म का नाम ओम प्रकाश पुस्तक भंडार है। इसका संचालक कहता है मैं 5 रुपए का सामान 5 हजार में बेचू उससे आपको क्या दिक्कत।

सरकार की योजनाओं पर फेर रहे पानी

आदिवासी अंचल कोरिया और एमसीबी जिला शिक्षा के नाम से काफी पिछड़ा हुआ है। शिक्षा विभाग के अधिकारी राज्य सरकार की छवि को धूमिल करने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे। जिस प्रकार शिक्षा विभाग में एक के बाद एक योजनाओं पर कालिख पोतने का काम हो रहा है, ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब शासन की मंशा के साथ-साथ उच्च अधिकारियों की सोच और आदिवासी अंचल के बच्चों की शिक्षा पर भी ग्रहण लग जाएगा।

बगैर जीएसटी जोड़े दर

नियमों के मुताबिक शासकीय विभागों में सामान सप्लाई जीएसटी टैक्स जोड़े बगैर नहीं की जा सकती है, लेकिन यहां न तो बिल में जीएसटी जोड़ा गया है न ही सप्लाई किए गए सामानों का सही तरीके से जिक्र किया गया है। ऐसे में सरकार को भी ये अफसर चुना लगाने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। लगभग 50 हजार रुपए के कर का चूना इस पूरे मामले में सरकार को लगाया गया है।

आंकड़े

प्रदेश में कुल 6,536 बालवाड़ी, बच्चों की संख्या 3,23,624, है। इसमें कोरिया जिला में बालवाड़ी 87 और

मनेन्द्रगढ़ जिला में 89।

वर्जन

मैं सप्लायर हूं। मैं 5 रुपए का सामान 5 हजार में बेच सकता हूं। विभाग ने आर्डर दिया है तो सप्लाई किया हूं। आप पत्रकार हो तो मैं भी मानवाधिकार से जुड़ा हूं। मेरा मन मैं कितने में भी सप्लाई करू।

नारायण बंसल, सप्लायर

स्कूलों के प्रधानपाठकों ने खरीदी की है। विभाग ने पैसा स्कूलों के खाते में डाल दिया था, भुगतान वहीं से हुआ है। प्रधानपाठक गलती किये हैं तो कार्यवाही होगी।

मनोज कुमार पांडेय, जिला समन्वयक

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