स्वावलंबन की सीख : राजनीति के साथ खेती में भी हाथ आजमा रहे पैकरा, युवाओं को भी खेती से जुड़ने कर रहे प्रोत्साहित

स्वावलंबन की सीख : राजनीति के साथ खेती में भी हाथ आजमा रहे पैकरा, युवाओं को भी खेती से जुड़ने कर रहे प्रोत्साहित
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जी हां, खेतों में फावड़ा चलाता हुआ यह शख्स, कोई आम मजदूर नहीं बल्कि प्रदेश की सियासत का एक बड़ा नाम है। यह शख्स हैं रामसेवक पैकरा, जो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, आदिम जाति आयोग के अध्यक्ष, प्रदेश के गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर...

नौसाद अहमद-सूरजपुर। भाजपा के कार्यकाल में महत्वपूर्ण भूमिकाओं में रहने वाले पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा इन दिनों कृषि कार्य में व्यस्त हैं। यहां एक ओर वह खेती से आर्थिक लाभ ले रहे हैं। वहीं, युवाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए कृषि से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं।

जी हां, खेतों में फावड़ा चलाता हुआ यह शख्स, कोई आम मजदूर नहीं बल्कि प्रदेश की सियासत का एक बड़ा नाम है। यह शख्स हैं रामसेवक पैकरा, जो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, आदिम जाति आयोग के अध्यक्ष, प्रदेश के गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे हैं। आज भी ये छत्तीसगढ़ भाजपा का बड़ा चेहरा माने जाते हैं, लेकिन आज-कल वे राजनीति के साथ-साथ कृषि कार्यों में भी खासा समय दे रहे हैं।

आधुनिक खेती कर रहे पूर्व गृह मंत्री

दरअसल रामसेवक पैकरा सूरजपुर जिले के चेंद्रा गांव के निवासी हैं, यह गांव चारों तरफ घने जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है, यहां खेती करना आसान नहीं है। बावजूद इसके पूर्व गृहमंत्री ने तमाम चुनौतियों को स्वीकार करते हुए बड़े पैमाने पर टमाटर और खीरे की खेती की है। जहां कल तक वीरान बंजर भूमि हुआ करती थी वहां आज रामसेवक पैकरा की मेहनत का ही असर है कि यहां फसलें लहलहा रही हैं। खेतों में पानी की कमी ना हो इसके लिए इन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग के तहत कई तालाब भी बनाए हैं, साथ ही वे आधुनिक खेती कर रहे हैं। इसमें कम मात्रा में पानी का उपयोग होता है।

युवाओं के लिए बेहतर रोजगार है खेती

पूर्व गृहमंत्री के अनुसार आज की युवा जो नौकरी के लिए परेशान रहते हैं उनके लिए खेती से अच्छा स्वरोजगार कोई नहीं हो सकता है। साथ ही कृषि कार्य से जहां खुद को आर्थिक लाभ होता है। वहीं, गांव के लोगों को रोजगार भी मिलता है। आज रामसेवक पैकरा के खेत का टमाटर और खीरा छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों में भी जा रहा है। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन यदि धान के साथ ही अन्य सब्जियों और फलों की आधुनिक खेती की जाए तो किसान आर्थिक रूप से और मजबूत हो सकता है। निश्चित ही पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा की यह पहल आम लोगों के लिए एक अच्छी सीख है। देखें वीडियो..


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