जगरगुंडा में जाग रही जिंदगी : नक्सलगढ़ में शुरू हुई बस सेवा, ग्रामीणों के चेहरे खिले

पंकज भदौरिया - दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में 2005 में सलवा जुडूम शुरू होते ही नक्सलियों ने जगरगुंडा इलाके को दुनिया के नक्शे से हटाकर टापू में तब्दील कर दिया था। जगरगुंडा से दोरनापाल मार्ग और जगरगुंडा से दंतेवाड़ा मार्ग दोनों तरफ से सड़क को काटकर जगरगुंडा इलाके के बाशिंदों को पिजड़े में कैद कर दिया था। अब 17 साल बाद एक फिर से जगरगुंडा एक बार बहाल होने लगा है। क्योंकि दंतेवाड़ा से जगरगुंडा तक की सड़क बनते ही दंतेवाड़ा कलेक्टर विनीत नंदनवार ने ग्रामीणों की सुविधा के लिए जनसुविधा एक्सप्रेस जगरगुंडा से दंतेवाड़ा तक शुरू किया है। यह बस जगरगुंडा से रोज सुबह 8 बजे दंतेवाड़ा के लिए अरनपुर पालनार होते हुए दंतेवाड़ा आती है। वही दोपहर ढाई बजे दंतेवाड़ा से जगरगुंडा के लिए निकलती है। बस की सुविधा ग्रामीणों को मिलते ही इस इलाके में अंदरूनी गांव के ग्रामीणों को बहुत बड़ी राहत मिली है।

सुरक्षा के बीच खुली सड़क
नक्सलियों की राजधानी जगरगुंडा तक शासन के लिये सड़क बनाना इतना आसान नहीं था। इस मार्ग में पालनार,कमलपोस्ट, कोंडासावली, जुड़वा नाले सभी जगह सुरक्षा बल सीआरपीएफ की टुकड़ियों को तैनात किया गया। 500 से अधिक आईईडी बम, स्पाईक होल्स नक्सलियों द्वारा जवानों को नुकसान पहुँचाने के लिए इस सड़क में नक्सलियों ने लगाये थे। जिसे जवानों ने बरामद कर सुरक्षा के छाए में जगरगुंडा तक सड़क बन दी।जगरगुंडा मार्ग खुलते ही चिंतलनार और जगरगुंडा इलाके में हुये सम्बंधो को भी अब तेजी से मजबूती मिलेगी।

175 किमी का सफर तय करना हुआ आसान
दरअसल चिंतलनार और जगरगुंडा में शनिवार और रविवार को सप्ताहिक बाज़ार लगती है। जिन बाज़ारो में अब पालनार, किरन्दुल तक के व्यापारी पहुँचते है। पहले जगरगुंडा से पहुँचने के लिए 175 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। उसी जगरगुंडा को दंतेवाड़ा से महज 85 किलोमीटर में लोग आसानी से तय कर रहे हैं। इस रास्ते पर तेजी से आवागमन बढ़ते ही नक्सलवाद को बड़ी चोट भी लगेगी साथ ही जगरगुंडा तक सड़क बहाली सरकार और प्रशासन दोनों की जीत है।

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