चाइना फोन पार्सल के नाम पर शराब, सस्ते डाक के कुरियर में रायपुर के लिए बड़ी खेप

रायपुर. त्योहारी सीजन में हरियाणा और पंजाब ब्रांड की शराब खपाने की जद कुछ इस तरह है कि गिरोह ने अब डाक और कुरियर का सहारा लेकर पेटियां खपाने के लिए तगड़े इंतजाम किए हैं। हरियाणा और पानीपत से सस्ते डाक की बदौलत कुरियर बनाकर बड़ी खेप बारी-बारी से राजधानी में ला रहे हैं। हाल के दिनों में आबकारी विभाग की कार्रवाई और फिर स्टॉक के पार्सल की जांच में ऐसा ही खुलासा हुआ है।
अफसरों का कहना है, तस्करों ने हरियाणा ब्रांड की शराब रायपुर तक लाने अलग-अलग स्लाट में स्टाक बनवाया। स्टाक की पेकिंग चाइना फोन के लिए होने वाले काटून में कराई। काटून के भीतर इस तरह से इंतजाम किए कि छूने से भी बोतलों का कुछ पता नहीं चल सका। इस तरह से बाकायदा इन पार्सलों को रायपुर के पते पर भेजने कुरियर के आर्डर दिए। निजी कुरियर कंपनी को आर्डर देते हुए शराब के स्टॉक रायपुर तक मंगवाए। अफसरों का कहना है, जो ब्रांड रायपुर में 950 रुपये तक बिकती है, हरियाणा में इसी की कीमत 450 रुपये तक है। कुरियर भी साढ़े चार से पांच हजार रुपये में हो जाता है, ऐसे में तस्कर दो-दो पेटियों का बड़ा डाक पार्सल बनाकर उसे रायपुर मंगवा रहे हैं। दो से तीन मामले पकड़े जाने के बाद कुरियर के जरिए स्टॉक लाने का खुलासा हुआ है।
शराब माफिया से तगड़ा घाटा
त्योहारी सीजन में शराब माफिया आबकारी विभाग के लिए मुसीबत खड़ी करने में लगा है। खासकर महंगे ब्रांड को सस्ती दरों में बेचकर वाइन शॉप में खरीदारी प्रभावित करने में लगा हुआ है। सिर्फ हरियाणा नहीं, पंजाब, झारखंड से भी तस्कर शराब के पार्सल बनवाकर उसकी खपत करने में लगे हुए हैं। डाक कंपनियां बिना किसी जांच पड़ताल के कमाई करने में लगी हैं। तस्कर सीधे इसका फायदा उठा रहे हैं।
अब बिलासपुर रोड तस्करी जोन
पहले ओडिशा के रास्ते सस्ती शराब तस्करी होने के बाद अब बिलासपुर रोड से सिमगा मार्ग तस्करों के लिए हॉट प्वाइंट बन गया है। नागपुर से दुर्ग भिलाई और फिर यहां से बिलासपुर मार्ग पर स्टाक खपाने का चैनल तैयार है। पहले माल रायपुर आने के बाद कबीर नगर, ट्रांसपोर्ट नगर या फिर हीरापुर में छिपा दिया जाता है। इसके बाद यहां से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में स्टॉक की सप्लाई और दूसरी जगहों में होती है।
पहचान कर पाना भी मुश्किल
कुरियर के लिए बनाए गए काटून पार्सल कुछ इस तरह से तैयार किए जाते हैं कि इसकी पहचान तक मुश्किल है। अभी तक तस्करों ने ट्रांसपोर्ट के नाम पर बिल्टी कटवाते हुए पार्सल भेजे हैं। बड़े काटून या फिर मोबाइल फोन या फिर दवाइयों के रैपर चस्पा कर पैक किए जाते हैं। इसके भीतर महंगे ब्रांड की बोतलें रहती हैं। बाहर से छूने पर पैकिंग कुछ इस तरह से होती है कि छूकर भी सामान के बारे में जांच मुश्किल है। पार्सल तौल के हिसाब से भेज दिया जाता है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS