आधी रात थानों में लॉकडाउन, कहीं कर्फ्यू जैसे हालात, कहीं चादर तान के नींद

आधी रात थानों में लॉकडाउन, कहीं कर्फ्यू जैसे हालात, कहीं चादर तान के नींद
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शहर भले ही अनलॉक हो गए है लेकिन नाइट कर्फ्यू का आलम जिला पुलिस को खासा रास आ रहा है। वर्क लोड कम होने के बीच ज्यादातर थानों में तैनात जवान 12 बजे के बाद आराम फरमाकर थकान मिटा रहे हैं। अनलॉक शहर में नाइट कर्फ्यू के आदेश के दौरान कुछ ऐसी ही तस्वीरें कैमरे में कैद हुई हैं, जो पुलिस के आराम फरमाने के साथ शहर में आम जरूरतमंदों को सही समय में मदद मिलने को लेकर सवाल खड़े करती है।

मनीष बाघ. रायपुर. शहर भले ही अनलॉक हो गए है लेकिन नाइट कर्फ्यू का आलम जिला पुलिस को खासा रास आ रहा है। वर्क लोड कम होने के बीच ज्यादातर थानों में तैनात जवान 12 बजे के बाद आराम फरमाकर थकान मिटा रहे हैं। अनलॉक शहर में नाइट कर्फ्यू के आदेश के दौरान कुछ ऐसी ही तस्वीरें कैमरे में कैद हुई हैं, जो पुलिस के आराम फरमाने के साथ शहर में आम जरूरतमंदों को सही समय में मदद मिलने को लेकर सवाल खड़े करती है। दिनभर की थकान दूर करने और फिर रात को मामले कम होने के दावों के बीच लोवर स्टाफ आराम फरमाते कैमरे में कैद हुआ है।

हरिभूमि ने नाइट कर्फ्यू के हालात में शहर के तमाम थानों में पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। आपातकाल में आम जरूरतमंद लोगों को मदद पहुंचाने के दौरान बड़े थानों में लापरवाही भी दिखी। गंज थाना में लोवर स्टाफ की मौजूदगी में कर्मचारी सिर्फ टाइम काटते दिखे। जब उनसे ड्यूटी अफसर के बारे में पूछा, रौब दिखाते किसी को अंदर भी जाने नहीं दिया। इसके बाद जब और थानों की पड़ताल हुई, वहां ज्यादातर जगह स्टाफ गहरी नींद में ही सोते मिला। सामान्य दिनों में ला एंड आर्डर का ज्यादा दबाव रहता है, लेकिन नाइट कर्फ्यू में मामले कम रहने की वजह से थानों में इस तरह का माहौल होना बताया गया। ज्यादातर थानों में मुंशी वाले टेबल पर ही बिस्तरें लगी मिलीं। लोवर स्टाफ से कर्मचारी तक खर्राटा लेते मिले।

पहले बहस फिर सुनवाई

थानों में जिस तरह का माहौल नजर आया, गहरी नींद में सोए वर्दीवालों को उठाने पर पहले उनके गुस्से का सामना करना पड़ता है। कई फरियादी अंदर जाने की हिम्मत ही नहीं करते। गंज, विधानसभा, सिविल लाइन, खम्हारडीह और राजेंद्र नगर थाना में ऐसा माहौल मिला, जहां ज्यादातर स्टाफ सोए मिले। एक दो जगह ड्यूटी अफसर बताने वाला कोई नहीं था। घटना होने की स्थिति में कोई फरयादी पहुंचे, तो उसकी शिकायत सुनने वाले की तलाश मजबूरी है।

थाना - गंज

पड़ताल- 12 बजे के बाद लोवर स्टाफ थाने में। मुंशी टेबल के पास जमघट जरूर, लेकिन मिन्नतें सुनने के बजाए बहस-बाजी जरूर की।

स्थिति- जब ड्यूटी या नाइट अफसर के बारे में पूछा, स्टाफ ने फोन छीने। नाइट अफसर को गश्त में बताया, अपना गुस्सैल रवैया दिखाकर अपशब्द कहा। मीडिया का परिचय देने पर माफी मांगी।

सिविल लाइन

पड़ताल- 12 बजे के बाद थाना में सिर्फ 12 लोगों के स्टाफ की तैनाती बताई गई। एफआईआर के संबंध में संपर्क करने पर नाइट अफसर ने बताया, स्टाफ कम, लेकिन फिर भी इमरजेंसी केस में ही सुनवाई।

स्थिति- लिमिट स्टाफ के भरोसे थाना में हाईप्रोफाइल जोन में सुरक्षा के लिए अधूरी व्यवस्था का खुलासा। सिर्फ 12 लोगों के स्टाफ के भरोसे बड़े इलाके में गश्त इंतजाम पहले से कमजोर।

थाना - विधानसभा

पड़ताल- रात 1 बजे बजे थाना में सन्नाटे का माहौल। ड्यूटी अफसर के बारे में नाइट इंचार्ज गहरी नींद में मिले। इंचार्ज ने बताया, अगर कोई केस नहीं तो थोड़ा बहुत आराम जरूरी।

स्थिति- विधानसभा जैसे संवेदनशील इलाके में मौजूद थाना में बल का सीमित टोटा और नाइट इंचार्ज की गैरहाजिरी में कोई फरियादी पहुंचे, तो सुनने को सिर्फ कांस्टेबल जवाबदार।

थाना - खम्हारडीह

पड़ताल- रात 2 बजे पूरा स्टाफ सोया। बाहर से दरवाजा बंद और अंदर के टेबल में स्टाफ के लिए बिस्तर। न इंचार्ज का पता चला न कोई हेल्प डेस्क।

स्थिति- आपातकाल में तुरंत रिस्पांस की उम्मीद यहां से खत्म। थाना की मेन एंट्री में ही पुलिस वालों की गहरी नींद। बाहर से आने वालों के अंदर आने की मनाही में गुहार लगाने की मशक्कत आम।

थाना - राजेंद्र नगर

पड़ताल- रात 3 बजे राजेंद्र नगर थाना बिल्डिंग में सभी स्टाफ ऊपर। नीचे न कोई संतरी न ही मोर्चा प्वाइंट। ऊपर स्टाफ की थकान दूर करने के इंतजाम।

स्थिति- ऊपर बिल्डिंग के छोर पर पुकार लगाने पर भी सामने से जवाब नहीं। थाना परिसर के खुले क्षेत्र में किसी संदेही की आवाजाही रोक पाना मुश्किल। बाहर कहीं से सूचना दर्ज करा पाना भी मुश्किल। उम्मीद यहां से खत्म। थाना की मेन एंट्री में ही पुलिस वालों की गहरी नींद। बाहर से आने वालों के अंदर आने की मनाही में गुहार लगाने की मशक्कत आम।



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