स्पेशल ट्रेन के नाम पर 'लूट', लोकल में एक्सप्रेस का किराया

स्पेशल ट्रेन के नाम पर लूट, लोकल में एक्सप्रेस का किराया
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कोराना का दूसरा पीक भी समाप्त हुआ। ज्यादातर राज्यों में अब हालात सामान्य हो रहे हैं। दिल्ली जैसे राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा दो सौ से नीचे है। छत्तीसगढ़ में रायपुर 50 से नीचे और पूरे प्रदेश में 500 से कम। मुंबई में भी कोरोना काबू में है। लेकिन रेलवे का किराया काबू में नहीं है। हाल ऐसा है कि खचाखच भरी लोकल ट्रेन में बैठने के लिए एक्सप्रेस का टिकट लेना पड़ रहा है। कीमत डेढ़ गुना।

ललित राठोड़. रायपुर. विशेष ट्रेन के नाम पर रुटीन की ट्रेनें चल रही हैं। किराया 30 फीसदी ज्यादा। तर्क यह है कि टिकटें कम दी जा रही हैं। हालांकि हरिभूमि की रिपोर्ट में यह गलत साबित हुआ। दूसरी लहर की शुरुआत में केवल लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन किया जा रहा था, लेकिन अब कम दूरी की पैसेंजर ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं। वर्तमान में लोकल ट्रेन में एक्सप्रेस ट्रेन का किराया यात्रियों से लिया जा रहा है। मौजूदा समय में रेलवे सभी ट्रेन का परिचालन स्पेशल ट्रेन के रूप कर रहा है। महंगे किराए में सफर करने यात्री भी मजबूर हैं।

स्पेशल में 25 से 30 फीसदी अधिक किराया

यात्रियों की सुविधा अनुसार रेलवे ट्रेन का परिचालन मांग के अनुसार बढ़ा रहा है। मुख्य रेलवे आरक्षक डी. भंडारी ने बताया, स्पेशल ट्रेन में 25 से 30 फीसदी अधिक किराया लिया जा रहा है, जिसमें मुंबई व हावड़ा के रास्ते चलने वाली सुपर डीलक्स, साउथ बिहार, समता एक्सप्रेस, समरक्रांति समेत दर्जनभर ट्रेन व फेस्टिवल स्पेशल शामिल हैं। इन ट्रेनों के लिए यात्रियों की मांग काफी है। कोरोना के बाद से स्पेशल किराया लिया जा रहा है। उनका कहना है, कुछ ट्रेन में पहले की तरह समान्य किराया लिया जा रहा है, लेकिन इसकी संख्या कम है। स्पेशल ट्रेन के परिचालन से एक्सप्रेस ट्रेन के लोकल डिब्बे से सफर करने यात्रियों को आरक्षण कराना पड़ रहा है, साथ ही अतिरिक्त किराया भी। स्पेशल ट्रेन का किराया बढ़ा है, लेकिन ट्रेन में मिलने वाली सुविधा पहले की तरह है।

एक्सप्रेस ट्रेन में लोकल जैसी स्थिति

संक्रमण कम होने से यात्री पहले की तरह सफर करने लगे हैं। वर्तमान में ट्रेन में मजदूरों की संख्या अधिक है। ऐसे में एक्सप्रेस ट्रेन के लोकल डिब्बे की स्थिति लोकल ट्रेन जैसी हो गई है। ट्रेन में सीट से अधिक यात्री होने लगे हैं। शनिवार काे बिलासपुर तिरुपति एक्सप्रेस, भुवनेश्वर स्पेशल, साउथ बिहार समेत मुंबई जाने वाली ट्रेन में यही स्थित देखने को मिली है। अधिकतर ट्रेन भरी हुई पहुंच रही हैं, जिनसे उतरने वालों की संख्या 10 प्रतिशत है। वहीं राजधानी से यात्रा करने वाले 40 से 50 प्रतिशत हैं। ओडिशा, बिहार समेत हैदराबाद की ट्रेन में लोकल डिब्बे की सभी सींटे फुल चल रही हैं। कोरोना के बाद से रेलवे नेे दिव्यांग, बुजुर्गों के लिए आरक्षण में छूट को बंद कर दिया है।

लोकल में एक्सप्रेस का किराया

लॉकडाउन खुलने के बाद से लोकल ट्रेन रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर के रास्ते चलने लगी हैं। लोकल को स्पेशल ट्रेन बनाने से यात्रियों को इसके लिए एक्सप्रेस का किराया देना पड़ रहा। पहले लोकल ट्रेन में 45 किलोमीटर तक सफर करने का 10 रुपये लगता था। अब इसे बढ़ा कर 30 रुपये कर दिया गया है। 45 से 65 किलोमीटर तक की दूरी का सफर करने के लिए पहले 15 रुपये का टिकट कटाना पड़ता था। अब ऐसे यात्रियों को 30 से 35 रुपये तक का टिकट लेना होगा, क्योंकि एक्सप्रेस में 50 किलोमीटर तक के लिए ही 30 रुपये लगता है। इसके बाद किराया बढ़ने लगता है। रायुपर से दुर्ग पहले 10 था, अब 30 हो गया है। बिलासपुर का किराया 35 से 55 हो गया है। वर्तमान में 50 प्रतिशत यात्री रोजाना लोकल में सफर करने रहे हैं।

महंगा किराया देने को मजबूर

दूसरी लहर में मई से जून माह के बीच 35 से अधिक ट्रेन पटरी में लौटी हैं। इनदिनों मुंबई, कोलकाता, बिहार, गुजरात के रास्ते ट्रेन दर्जन से अधिक ट्रेन चल रही है। यात्री की मांग पर रेलवे प्रतिदिन ट्रेन का परिचालन बढ़ा रहा लेकिन महंगे किराए के साथ स्पेशल ट्रेन के रूप में। बीते दिनों शिरडी के लिए ट्रेन शुरू की गई थी, जो दो दिनों में सारी सीटें भरने की स्थिति में पहुंच गई। वर्तमान में हैदराबाद, पटना, बंगाल, महाराष्ट्र के रास्ते जाने वाली ट्रेन की सीट सप्ताहभर पहले बुकिंग एडवांस में हो चुकी है। वेटिंग में भी 70 से 80 प्रतिशत टिकट का कैंसिल होना बताया जा रहा है। स्पेशल ट्रेन के कारण एक्सप्रेस ट्रेन के लोकल डिब्बे में यात्रियों को अतिरिक्त किराया देना पड़ा रहा।

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