महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने कहा- पूजनीय हैं राष्ट्रपिता, जाति-वेष से नहीं मगर कर्म से साधु थे

रायपुर: 4 जनवरी को आबकारी मंत्री कवासी लखमा का जन्मदिन है। उन्हें आशीर्वाद देने देश के जाने-माने संत निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी हरिद्वार से रायपुर पहुंचे हैं। मीडिया को आचार्य ने बताया कि, मंत्री का स्वभाव अच्छा है, वो मेरा आदर करते हैं। मैं मंत्री कवासी लखमा को आशीर्वाद देने आया हूं, शराबबंदी पर उन्होंने कहा, मैं उनसे शराबबंदी की बात जरूर कहूंगा, ये मेरा कर्तव्य है।
निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी को 26 दिसंबर को रायपुर में हुई धर्म संसद में महाराष्ट्र के कालीचरण का महात्मा गांधी पर दिया आपत्तिजनक बयान रास नहीं आया। उन्होंने कहा कि अगर कोई अच्छा साधु हो तो वो ऐसी बात नहीं करेगा। राष्ट्रपिता पूजनीय हैं भले वो जाति, वेष से साधु नहीं थे मगर वो कर्म से साधु थे। देश में 13 अखाड़े हैं। इनसे संबंधित संतों का हम आदर करते हैं। भारत एक स्वतंत्र देश है, यहां सभी अपने तरीके से काम करते हैं, किसी व्यक्ति के मुख पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता है, ऐसी वाणी बोलिये औरन को शीतल करे, आप हूं शीतल होए। कैलाशानंद गिरी से पूछा गया कि बहुत से संत मानते हैं कि सिवाए सनातन धर्म के कोई धर्म नहीं था, विशेषकर इस्लाम को लेकर कहा जाता है कि इसका अस्तित्व ही नहीं। जवाब में कैलाशानंद गिरी ने कहा कि सनातन धर्म 50 हजार, लाख, करोड़ वर्षों पुराना है। तब हमारा कैल्कुलेटर काम करना बंद कर देता है। भगवान के 24 में से 8वां अवतार ऋषभ देव का था जो जैनियों के प्रथम त्रितांकर बनें, 10वां अवतार महात्मा बुध्द। सनातन धर्म के बाद दो धर्म ही आए। हम किसी धर्म का खंडन या निंदा नहीं कर रहे, किसी भी धर्म के हों आचार्य पूजन के योग्य हैं। उनके अनुयाई बिगड़ सकते हैं धर्म नहीं, साधु खराब हो सकता है परंपरा नहीं। सनातन धर्म अनादी काल से है, अनादि काल तक रहेगा। क्या संत भी कांग्रेस और भाजपा के विचारों की वजह से बंटे हुए हैं? इस सवाल के जवाब में कैलाशानंद गिरी ने कहा कि संन्यासी राष्ट्र का होता है, यदि कोई धर्म की संस्कार की, अच्छे व्यवहार की, जन सरोकार की बात करे, काम करे तो भारत के संत उसे आशीर्वाद देंगे, अच्छे काम को सराहना संतों का काम है। मेरे लिए वो सभी एक समान हैं जो धर्म और राष्ट्र के हितैषी हैं।
महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी का संछिप्त परिचय
हरिद्वार में श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी हैं। महामंडलेश्वर बनने के लिए संतों के बीच वेद, उपनिषद और धार्मिक ग्रंथों की परीक्षा देनी होती है, शास्त्रों का पूरे ज्ञान को परखा जाता है। कैलाशानंद इस वक्त दुनिया में सनातन धर्म के 7 आचार्यों में से एक हैं। साधुओं की संख्या की बात की जाए तो निरंजनी अखाड़ा देश के सबसे बड़े और प्रमुख अखाड़ों में है। जूना अखाड़े के बाद उसे सबसे ताकतवर माना जाता है। वो देश के 13 प्रमुख अखाड़ों में एक है। निरंजनी अखाड़ा की स्थापना सन् 904 में किए जाने की बात सामने आती है।
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